अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन
पर्यावरण बचाने की उठी मांग, कांग्रेस सेवा दल ने दिया ज्ञापन
जनमानस शेखावाटी सवंददाता : नैना शेखावत
सीकर : भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में शामिल अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर सीकर में पर्यावरणविदों और जागरूक नागरिकों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन कांग्रेस सेवा दल के माध्यम से जिला प्रशासन को दिया गया।
ज्ञापन में अरावली की मूल भौगोलिक परिभाषा बहाल करने और इसे पूर्ण कानूनी संरक्षण देने की मांग की गई है। प्रतिनिधियों ने कहा कि अरावली केवल राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात के लिए जल स्रोत ही नहीं, बल्कि थार मरुस्थल के विस्तार को रोकने वाली प्राकृतिक ढाल भी है।
ज्ञापन में बताया गया कि अरावली पर्वतमाला भू-जल पुनर्भरण, जलवायु संतुलन और जैव विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हाल ही में सरकार द्वारा अरावली क्षेत्र को 100 मीटर ऊंचाई के आधार पर परिभाषित करने के निर्णय पर चिंता जताई गई। कहा गया कि इस फैसले से कई संवेदनशील क्षेत्र कानूनी सुरक्षा से बाहर हो सकते हैं, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान होगा।
तीन प्रमुख मांगें रखी गईं : अरावली पर्वतमाला को पूर्ण कानूनी संरक्षण देकर खनन पर स्थायी रोक लगाई जाए।, थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकने के लिए ठोस व दीर्घकालिक रणनीति बनाई जाए।,वन संरक्षण, भू-जल पुनर्भरण और पारिस्थितिक पुनर्स्थापन के लिए दीर्घकालिक योजना तुरंत लागू की जाए।
ज्ञापन में कहा गया कि अरावली केवल खनिजों का स्रोत नहीं, बल्कि उत्तर भारत का पर्यावरणीय सुरक्षा कवच है। इसका संरक्षण पर्यावरण, इतिहास और राजस्थान की संस्कृति की रक्षा से जुड़ा हुआ है। प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति से इस गंभीर विषय पर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की।
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