सुरक्षा सखियों के अधिकारों की आवाज बुलंद
सिंघानिया विश्वविद्यालय में सुरक्षा सखी पखवाड़ा, पुलिस विभाग ने किया संवाद
पचेरी कलां : सिंघानिया विश्वविद्यालय पचेरी कलां में सुरक्षा सखी पखवाड़ा के तहत पुलिस विभाग की ओर से जिला स्तरीय बैठक आयोजित की गई। झुंझुनूं व आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा सखियों ने इसमें भाग लेकर अपने अनुभव और चुनौतियाँ साझा कीं।
सुरक्षा सखी समाज–पुलिस की मजबूत कड़ी : प्रो. जस्सल
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष एवं कैंपस डायरेक्टर प्रो. पी.एस. जस्सल रहे। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सखी समाज में रहकर वास्तविक समस्याओं को समझने और उन्हें पुलिस व न्याय व्यवस्था तक पहुँचाने का अहम कार्य कर रही हैं। उन्होंने सुरक्षा सखियों के उचित वेतन की मांग रखी और विश्वविद्यालय की ओर से सुरक्षा सखियों के बच्चों को बेटियों को 35% व बेटों को 25% तक छात्रवृत्ति देने की घोषणा की।
90% मामलों में झूठी शिकायतें मिलीं : रजिस्ट्रार
रजिस्ट्रार मो. इमरान हाशमी ने कहा कि सुरक्षा सखी पीड़ित महिलाओं तक न्याय पहुँचाने की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उन्होंने बताया कि दहेज उत्पीड़न व घरेलू हिंसा संबंधी मामलों में कई बार दुरुपयोग देखने को मिला है और लगभग 90% मामले झूठे पाए गए। ऐसे में सखियों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

समाज की सच्चाई तक न्याय प्रणाली पहुँचाना ही ध्येय
प्रो. प्रेसीडेंट डॉ. पवन त्रिपाठी ने कहा कि माता-पिता, शिक्षक, पुलिस और न्याय व्यवस्था समाज के चार मुख्य स्तंभ हैं। सुरक्षा सखी का मुख्य दायित्व है– समाज की सच्चाई पुलिस तक निष्पक्ष रूप से पहुँचाना।
साइबर अपराधों से सावधान रहने की सलाह
थानाध्यक्ष बनवारीलाल ने सुरक्षा सखियों को बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर सतर्क रहने को कहा। नोडल अधिकारी कांस्टेबल पिंकी ने सखियों को आत्मनिर्भर बनने और समस्याएँ बेझिझक साझा करने की बात कही। उन्होंने आश्वस्त किया कि पुलिस प्रशासन सदैव उनके साथ है।
लैंगिक पक्षपात से दूर रहकर करें कार्य : डॉ. मोनिका
जनसंपर्क अधिकारी डॉ. मोनिका ने कहा कि सुरक्षा सखियों को किसी भी तरह के लैंगिक पक्षपात से ऊपर उठकर सत्य व निष्पक्षता के आधार पर पीड़ितों को न्याय दिलाना चाहिए। मानविकी संकाय के डीन धर्मपाल ने कहा कि कई मामले सखी अपने स्तर पर संवाद व समझाइश से सुलझाकर समाज में सौहार्द बनाए रख सकती हैं।
सखियों ने वेतन न मिलने पर जताई पीड़ा
सुरक्षा सखी किरण (नीमराना), संतोष (पचेरी) और प्रेमलता (भोदान) ने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि विभिन्न चुनौतियों के बावजूद उन्हें अब तक वेतन उपलब्ध नहीं हुआ है। कार्यक्रम में उन्होंने नियमित वेतन देने की मांग भी रखी। विश्वविद्यालय ने उनके उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए सभी सुरक्षा सखियों का सम्मान किया।
विधि विभाग में निःशुल्क विधिक परामर्श क्लिनिक संचालित
कार्यक्रम के अंत में विधि विभाग ने बताया कि परिसर में निःशुल्क विधिक परामर्श क्लिनिक चल रहा है, जहाँ आमजन कानूनी सलाह ले सकते हैं। विभाग ने आसपास के क्षेत्रों में भी ऐसे निःशुल्क विधिक शिविर आयोजित करने की घोषणा की।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता रवि ने किया। इस अवसर पर डॉ. सुमेर सिंह, विजेन्द्र शर्मा, डॉ. मनोज वर्गीस, डॉ. प्रभात कुमार, डॉ. दिनेश कुमार यादव, सनी व विकास शर्मा भी मौजूद रहे।
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