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चिड़ावा प्रधान डूडी का इस्तीफा 45 दिन बाद स्वीकार:दिशा बैठक में अचानक मौजूदगी से बढ़े सवाल—स्वास्थ्य कारण बताने के बावजूद मीटिंग में सक्रिय रहीं


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चिड़ावा प्रधान डूडी का इस्तीफा 45 दिन बाद स्वीकार:दिशा बैठक में अचानक मौजूदगी से बढ़े सवाल—स्वास्थ्य कारण बताने के बावजूद मीटिंग में सक्रिय रहीं

चिड़ावा प्रधान डूडी का इस्तीफा 45 दिन बाद स्वीकार:दिशा बैठक में अचानक मौजूदगी से बढ़े सवाल—स्वास्थ्य कारण बताने के बावजूद मीटिंग में सक्रिय रहीं

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले की चिड़ावा पंचायत समिति की प्रधान इंदिरा डूडी का इस्तीफा डेढ़ माह से अधिक समय तक लंबित रहने के बाद आखिरकार शुक्रवार को स्वीकार कर लिया गया। मौके ने पूरे जिले का ध्यान खींचा क्योंकि इस्तीफा स्वीकार होने के ठीक बाद भी इंदिरा डूडी जिला स्तरीय दिशा (डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट कोऑर्डिनेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी) की बैठक में न केवल मौजूद रहीं बल्कि सक्रिय रूप से सहभागी भी रहीं। इससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर यह प्रशासनिक चूक थी, जानबूझकर हुई अनदेखी या फिर डूडी को इस्तीफे की मंजूरी की जानकारी ही नहीं दी गई थी।

मामला शुरू होता है सितंबर महीने से, जब पंचायत राज विभाग ने कुछ प्रकरणों के चलते इंदिरा डूडी को प्रधान पद से हटाने की कार्रवाई की थी। कार्रवाई के बाद 30 सितंबर को उन्होंने पुनः चिड़ावा पंचायत समिति के प्रधान पद पर जॉइन कर लिया था। हालांकि यह स्थिरता ज्यादा दिन नहीं चली। सिर्फ छह दिन बाद, 6 अक्टूबर को उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए जिला प्रमुख को अपना त्यागपत्र भेज दिया। ग्रामीण राजनीति और प्रशासकीय स्तर पर उस समय भी चर्चा थी कि क्या डूडी का इस्तीफा वास्तव में स्वास्थ्य कारणों के चलते था या परिस्थितिजन्य दबावों के कारण उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा।

इसके बाद लगभग 45 दिनों तक इस्तीफा लंबित रहा। इस दौरान यह भी चर्चा रही कि क्या जिला प्रशासन किसी स्पष्ट स्थिति का इंतजार कर रहा है या फिर इस्तीफा स्वीकार न किए जाने के पीछे किसी राजनीतिक समीकरण का प्रभाव था। किंतु 21 नवंबर को अचानक स्थिति बदल गई। कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय दिशा बैठक शुरू होने से ठीक पहले जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने उनके त्यागपत्र को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया। इस स्वीकारोक्ति का समय जितना महत्वपूर्ण था, उससे ज्यादा ध्यान खींचने वाली बात थी कि इंदिरा डूडी बैठक में मौजूद रहीं।

दिशा की बैठक में सांसद बृजेन्द्र सिंह ओला, जिला कलेक्टर अरुण गर्ग, जिला परिषद सीईओ, विभिन्न विभागों के अधिकारी और कई जनप्रतिनिधि मौजूद थे। ऐसे में पूर्व प्रधान इंदिरा डूडी की मौजूदगी स्वाभाविक रूप से चर्चा का विषय बन गई। जिला परिषद सूत्रों के अनुसार, सामान्यतः किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि का इस्तीफा स्वीकार होते ही उसकी वैधानिक भूमिका समाप्त हो जाती है और ऐसे महत्वपूर्ण मंचों पर बैठने का अधिकार भी स्वतः समाप्त हो जाता है। लेकिन आज की बैठक में यह स्थिति बदलती हुई नहीं दिखी।

कई जनप्रतिनिधियों ने अनौपचारिक रूप से कहा कि यदि इस्तीफा स्वीकार हो चुका था, तो क्या इस जानकारी को इंदिरा डूडी को पहले से नहीं बताया गया था? या फिर बैठक में उपस्थिति के दौरान अधिकारी इस मामले से अनभिज्ञ थे? वहीं कुछ लोगों ने यह भी सवाल उठाए कि स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा देने वाली प्रधान का बैठक में सक्रिय रूप से बैठना आखिर किस कारण हुआ—क्या स्वास्थ्य कारण सिर्फ औपचारिकता थे या वास्तविकता कुछ और थी?

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