बीएलओ मुकेश जांगिड़ की मौत का सादुलपुर में विरोध:शिक्षक संघ ने बांधी काली पट्टी, प्रांतीय उप सभा अध्यक्ष बोले- ये संस्थागत हत्या है
बीएलओ मुकेश जांगिड़ की मौत का सादुलपुर में विरोध:शिक्षक संघ ने बांधी काली पट्टी, प्रांतीय उप सभा अध्यक्ष बोले- ये संस्थागत हत्या है
सादुलपुर : सादुलपुर में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के आह्वान पर राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत की अगुवाई में शिक्षकों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन ब्लॉक के शिक्षक मुकेश चंद जांगिड़ की कथित आत्महत्या के विरोध में किया गया, जिसे संगठन ने प्रशासनिक दबाव का परिणाम बताया है।
ब्लॉक के बिरमी खालसा, भोजाण, बैरासर बड़ा, रा.उ.मा.वि., रा.उ.प्रा.वि. बालिका बघेला, राउ प्रा.वि. गोठ्या छोटी, भटोड़ और रा.प्रा.वि. लुटाना सदासुख सहित कई विद्यालयों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर शोक व्यक्त किया और श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कर दिवंगत साथी को याद किया।
18 नवंबर को ब्लाक में काली पट्टी बांधकर विरोध
ब्लॉक अध्यक्ष महेंद्र सिंह पूनिया और ब्लॉक मंत्री संजय खीचड़ ने बताया कि 18 नवंबर को सभी विद्यालयों में विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधी गई और शांतिपूर्ण श्रद्धांजलि सभाएं की गईं।संजय खीचड़ ने जानकारी दी कि 19 नवंबर 2025 को शाम 4:15 बजे एसडीएम कार्यालय के सामने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान मुख्य सचिव के नाम एक ज्ञापन एसडीएम को सौंपा जाएगा। उन्होंने ब्लॉक के सभी शिक्षकों से अधिक से अधिक संख्या में जुटने की अपील की।
प्रशासनिक प्रताड़ना के आरोप
जिला मंत्री वेदपाल मलिक ने आरोप लगाया कि मुकेश जांगिड़ को अनावश्यक दबाव, प्रताड़ना और डराने-धमकाने के चलते आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाना पड़ा। उन्होंने इस घटना को ‘हत्या की श्रेणी’ में बताया और संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
मलिक का कहना है कि प्रशासन रेटिंग और रिपोर्टिंग के नाम पर BLO सहित कई कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव बनाता है, जिससे कर्मचारी मानसिक तनाव में आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि संगठन इस तरह की प्रताड़ना को बर्दाश्त नहीं करेगा और संघर्ष तेज किया जाएगा।
यह आत्महत्या नहीं, संस्थागत हत्या है- पूनिया
प्रांतीय उप सभा अध्यक्ष रतन सिंह पूनिया ने घटना को प्रशासनिक मशीनरी की संवेदनहीनता का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि SIR कार्य में लगे BLO और सहायक कर्मचारियों को लगातार धमकाया और दबाव में रखा जा रहा है, जिस कारण सैकड़ों कर्मचारी मानसिक तनाव झेल रहे हैं।
पूनिया के अनुसार, इसी भय और उत्पीड़न ने मुकेश जांगिड़ को यह कदम उठाने पर मजबूर किया, जो गंभीर चिंता का विषय है और प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े करता है।
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