राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तातीजा का भवन जर्जर, भय के साये में पढ़ाई करने को मजबूर विद्यार्थी
भवन में छत से लटकते सरिए, पिलरों में दरारें, बरसात में टपकता पानी : कलेक्टर के आदेश भी फाइलों में दबे, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : विजेन्द्र शर्मा
खेतड़ी : खेतड़ी उपखंड की ग्राम पंचायत तातीजा स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थी इन दिनों जान हथेली पर रखकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। स्कूल भवन की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि हर रोज बड़ा हादसा होने का डर बना रहता है, लेकिन जिम्मेदार सिर्फ कागजों में खानापूर्ति कर रहे हैं।विद्यालय के कुल 15 कमरों में से चार कमरे पूरी तरह जर्जर हालत में हैं। कई कमरों और बरामदों की छतों से सीमेंट-कंक्रीट उखड़ चुका है और जंग लगे लोहे के सरिए बाहर निकलकर लटक रहे हैं। बरामदे में लगे पिलरों में गहरी दरारें पड़ चुकी हैं, जिनसे कंक्रीट और पत्थर झड़ रहे हैं। एक कमरे के आगे बरामदे में रस्सी बांधकर बेरिकेट लगाया गया है ताकि विद्यार्थी उसके नीचे से न जाएं, लेकिन छोटे बच्चे उसी रास्ते से होकर रोज गुजरने को मजबूर हैं।प्रधानाध्यापक कक्ष और उसके आगे का बरामदा भी खतरे की जद में है। बारिश के दिनों में इन कमरों और बरामदों की छतें टपकती रहती हैं, दीवारों में सीलन से सीमेंट झड़कर गिरता है और सरिए खुलकर दिखने लगते हैं। कई कमरों की छतों की पपड़ी उतर चुकी है, जिससे बारिश का पानी सीधे कमरों में टपकता रहता है। एक कमरे के आगे का फर्श भी धंसा हुआ है और रैंप टूटा पड़ा है।
छात्राओं ने सुनाई अपनी पीड़ा
छात्रा पायल, पूजा, निक्कू समेत कई विद्यार्थियों ने बताया कि वे रोज भय के साये में पढ़ाई कर रहे हैं। बरसात में छतों से पानी टपकता है, बैठने की जगह नहीं बचती। प्लास्टर टूटकर गिरना आम बात हो गई है और कई जगह छतों से सरिए लटक रहे हैं। बच्चों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द मरम्मत नहीं हुई तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
कलेक्टर के आदेश भी दबे फाइलों में
कुछ दिन पहले जिला कलेक्टर डॉ. अरुण गर्ग ने जिलेभर के जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत के आदेश दिए थे, लेकिन तातीजा स्कूल में अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ। प्रधानाचार्य प्रदीप कुमार मेहरड़ा ने बताया कि स्कूल भवन की हालत के बारे में शिक्षा विभाग को पहले ही अवगत करा दिया गया है, पर कार्रवाई अब तक फाइलों से बाहर नहीं निकली।विद्यार्थियों ने प्रशासन से अपील की है कि हालात को नजरअंदाज न किया जाए और तुरंत मरम्मत कराकर सुरक्षित माहौल में पढ़ाई की व्यवस्था की जाए। बड़ा सवाल यह है कि क्या जिम्मेदार कभी मौके पर हालात देखेंगे या फिर कोई बड़ा हादसा होने के बाद ही सिस्टम जागेगा?