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काजड़ा में जलभराव से लोग परेशान:छात्र-छात्राओं को हो रही परेशानी, ग्रामीणों ने लगाया सड़क बनाने में लापरवाही का आरोप


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काजड़ा में जलभराव से लोग परेशान:छात्र-छात्राओं को हो रही परेशानी, ग्रामीणों ने लगाया सड़क बनाने में लापरवाही का आरोप

काजड़ा में जलभराव से लोग परेशान:छात्र-छात्राओं को हो रही परेशानी, ग्रामीणों ने लगाया सड़क बनाने में लापरवाही का आरोप

सूरजगढ़ : सूरजगढ़ तहसील के काजड़ा गांव में जलनिकासी की समस्या ने आमजन का जीवन मुश्किल कर दिया है। सूरजगढ़-डुलानिया रोड स्थित इस गांव के मुख्य मार्ग पर हल्की बरसात के बाद ही पानी भर जाता है। परिणामस्वरूप पैदल चलने वालों से लेकर दोपहिया और चौपहिया वाहन चालकों तक को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या की जड़ हाल ही में बनी सूरजगढ़-बेरी सड़क है, जिसके निर्माण में की गई तकनीकी खामी आज पूरे गांव पर भारी पड़ रही है।

सड़क निर्माण में खामी बनी परेशानी

स्थानीय लोगों के अनुसार, जब बेरी मार्ग पर नई सड़क बनी थी, तब इंजीनियरिंग लेवल पर गंभीर लापरवाही बरती गई। सड़क की ढलान गांव के प्राकृतिक जलनिकासी मार्ग यानी मुख्य नाले की ओर देने की बजाय दूसरी दिशा में कर दी गई। नतीजतन, बारिश का पानी बहकर नाले में जाने की बजाय सड़क पर जमा होने लगा। यह पानी सड़क के किनारे और आसपास के घरों के सामने कीचड़ और जलभराव का कारण बन गया है।

ग्रामीणों ने की सड़क सुधार की मांग, सूरजगढ़ डुलानिया रोड पर जलनिकासी व्यवस्था फेल।
ग्रामीणों ने की सड़क सुधार की मांग, सूरजगढ़ डुलानिया रोड पर जलनिकासी व्यवस्था फेल।

बरसात के दिनों में हालात बदतर

ग्रामीणों ने बताया कि हल्की सी बारिश में ही गांव की मुख्य सड़क डबडबा जाती है। “स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर काम पर निकलने वाले मजदूरों और महिलाओं तक, सभी को पानी और कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है,” उन्होंने कहा। वहीं छात्रा प्रियंका ने बताया कि पानी भरने से कई बार उसे और उसकी सहेलियों को स्कूल तक पहुंचने में परेशानी हुई। कई बार तो लौटते वक्त साइकिल को पानी से धकेलना पड़ा।

सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाई जांच की मांग

गांव के सामाजिक कार्यकर्ता विष्णु शर्मा ने बताया कि काजड़ा की यह समस्या केवल बारिश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गांव के जीवन स्तर और स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही है। “स्थायी समाधान के लिए जरूरी है कि सड़क की दिशा और ढलान की तकनीकी जांच की जाए। इसके बाद ही सही तरीके से जलनिकासी की व्यवस्था की जा सकती है।

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