झुंझुनूं में 3 ग्रामीण-क्षेत्र को नगरपरिषद में जोड़ने का विरोध:गांव वालों का फूटा गुस्सा, जिला कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन
झुंझुनूं में 3 ग्रामीण-क्षेत्र को नगरपरिषद में जोड़ने का विरोध:गांव वालों का फूटा गुस्सा, जिला कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन

झुंझुनूं : झुंझुनूं नगरपरिषद की परिसीमन प्रक्रिया के तहत तीन ग्रामीण क्षेत्रों-मीलों की ढाणी, भैड़ा की ढाणी उत्तरी और भैड़ा की ढाणी दक्षिणी को नगरपरिषद में जोड़ने का विरोध किया जा रहा है। सोमवार को ग्रामीणों का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा। इस फैसले के विरोध में ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पर पहुंचकर प्रदर्शन किया और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में की ये मांगें
- तीनों गांवों को नगरपरिषद में शामिल करने के निर्णय को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए। पूर्ववत ग्राम पंचायत व्यवस्था के अधीन ही रखा जाए। इस फैसले से ग्रामीणों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
- नगरपरिषद में शामिल होने से कोई लाभ नहीं मिलेगा। कई तरह की समस्याओं में उलझ जाएंगे। पंचायत व्यवस्था में निर्णय लेने की अधिक स्वतंत्रता, जनसुनवाई की सरलता और स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों को प्रभावित करने की शक्ति मिलती है। नगरपरिषद में सम्मिलित होने पर करों का बोझ बढ़ेगा, प्रशासनिक दूरी भी उत्पन्न होगी।
- भैड़ा की ढाणी के ग्रामीणों ने कहा-गांव का विकास पंचायत के माध्यम से अधिक सुगमता से होता है। नगरपरिषद में शामिल होने से न सिर्फ़ बजट सीमित हो जाएगा, बल्कि हमारा प्रतिनिधित्व भी कमजोर पड़ जाएगा।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा- नगरपरिषद में आने का सीधा मतलब है-बढ़े हुए हाउस टैक्स, जल कर और अन्य शुल्क, लेकिन सुविधाएं शून्य। अब तक हम पंचायत व्यवस्था में सहज रूप से जीवन यापन कर रहे थे, जहां छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर तुरंत होता था।
ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे नाहर सिंह झाझड़िया ने कहा-हमने कई बार प्रशासन को अपनी आपत्तियों से अवगत कराया है, लेकिन न तो कोई बैठक बुलाई गई, न ही कोई संवाद स्थापित हुआ। यह लोकतंत्र का अपमान है। जब जनता की राय नहीं ली गई, तो यह निर्णय किसके हित में लिया गया है?
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया- हम पिछले कई महीनों से जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस विषय पर ज्ञापन दे रहे हैं, लेकिन अब तक किसी ने बात पर गंभीरता से विचार नहीं किया।
जनप्रतिनिधियों से राजनीतिक प्रतिक्रिया की मांग
ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा- चुनाव के समय वोट मांगने हर कोई आ जाता है, लेकिन जब गांवों के भविष्य से जुड़े गंभीर निर्णय लिए जाते हैं, तो कोई नेता ग्रामीणों के पक्ष में आवाज नहीं उठाता। ग्रामीणों की मांग है कि राज्य सरकार इस फैसले की समीक्षा करे और सार्वजनिक जनसुनवाई के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाए।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज करेंगे और जरूरत पड़ी तो राजधानी जयपुर में भी प्रदर्शन करेंगे।