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बांसवाड़ा में कोर्ट के आदेशों के बाद झुंझुनूं में भी हड़कंप, न्यायमित्र की रिपोर्ट पर कोर्ट ने मानी न्यायालय की अवमानना, होगी कार्रवाई


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बांसवाड़ा में कोर्ट के आदेशों के बाद झुंझुनूं में भी हड़कंप, न्यायमित्र की रिपोर्ट पर कोर्ट ने मानी न्यायालय की अवमानना, होगी कार्रवाई

झुंझुनूं जिले में भी तीन निकायों के लिए न्यायालय ने नियुक्त किया है न्याय मित्र, केके गुप्ता ने तीनों निकायों की रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने के दिए संकेत

झुंझुनूं : स्थायी लोक अदालत ने झुंझुनूं जिले की तीन निकायों झुंझुनूं नगर परिषद, मंडावा व नवलगढ़ नगरपालिका के लिए केके गुप्ता को न्याय मित्र नियुक्त किया है। अब इन तीन निकायों के अधिकारियों द्वारा केके गुप्ता के आदेशों की पालना ना करने पर कार्रवाई हो सकती है। दरअसल बांसवाड़ा में ऐसा होने के बाद झुंझुनूं की इन तीनों निकायों में हड़कंप मचा हुआ है। जानकारी के मुताबिक स्थाई लोक अदालत बांसवाड़ा ने न्यायमित्र केके गुप्ता द्वारा प्रेषित पत्र को गंभीरता से लेते हुए बांसवाड़ा की नगर परिषद को न्याय मित्र को पूर्ण सहयोग के लिए पाबंद किया है और कहा है कि यदि न्याय मित्र द्वारा किसी तरह के असहयोग संबंधी शिकायत मिली तो यह न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी और न्यायालय दंडात्मक कार्यवाही के लिए अग्रसर होगी। इस आदेश की झुंझुनूं में भी खासी चर्चा है। दरअसल अपने दौरों के दौरान बार-बार अधिकारियों को निर्देश देते हुए केके गुप्ता साफ कर चुके है कि जब वे दौरे पर आते है। तब दो-चार दिन सबकुछ ठीक होता है। लेकिन बाद में सामान्य स्थिति बड़ी खराब है। जो स्थिति है। उन हालातों से कोर्ट की मंशा भी पूरी नहीं हो रही और लगता है कि कोर्ट के आदेशों से नियुक्त न्याय मित्र के आदेशों की भी पूर्णतया पालना नहीं हो रही। गुप्ता ने कहा है कि वे जल्द ही तीनों निकायों की रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करेंगे। जिसके बाद आगे की कार्रवाई करने काम न्यायालय का है।

बांसवाड़ा में ये हुआ पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि नगर निकाय बांसवाड़ा क्षेत्र की स्वच्छता को लेकर स्थाई लोक अदालत ने केके गुप्ता को न्याय मित्र नियुक्त किया था। स्वच्छता के विशेषज्ञ और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रदेश समन्वयक गुप्ता ने न्यायालय की नियुक्ति पर तत्काल न्याय मित्र की जिम्मेदारी संभाली और बांसवाड़ा की शहरी स्वच्छता को लेकर तेज गति से काम शुरू किया। गुप्ता को न्याय मित्र बनाने का परिणाम भी आशातीत रूप से सामने आया। कुछ ही दिनों में बांसवाड़ा में बदलाव की बयार देखी गई। बांसवाड़ा शहर के वार्डों में सफाई, नालियों की हाई प्रेशर मशीन से नियमित सफाई, सामुदायिक शौचालय एवं मूत्रालय की नियमित दिन में तीन बार सफाई, लंबे समय से लिंबित सीवरेज कनेक्शन को तीव्र गति से करना, सड़कों का नवीनीकरण एवं रिपेयरिंग कार्य सिद्ध करवाना, हर घर से नियमित कचरा उठाना, डिवाईडर के रंगरोगन, गंदगी से संबंधित शिकायतों का 24 घंटे में निस्तारण करना, उद्यानों की देखरेख और सडक़ों की सफाई के साथ खासकर रात्रिकालीन सफाई प्रारंभ की गई। शहरभर में अव्यवस्थित पोल को हटाने का कार्य किया गया। शहर की जनता के साथ नियमित बैठक और अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर गुप्ता ने जागरूकता लाने का कार्य किया। बांसवाड़ा स्वच्छता की राह चल पड़ा था, लेकिन नगर परिषद अधिकारियों की ओर से आवश्यक सहयोग में कमी को न्याय मित्र गुप्ता ने गंभीरता से लिया। गुप्ता ने इसे लेकर स्थाई लोक अदालत को पत्र लिखे और वस्तुस्थिति से अवगत कराया। न्याय मित्र गुप्ता ने न्यायालय को पत्र लिखकर नगर परिषद की ओर से हो रहे असहयोग से अवगत कराया था। गुप्ता ने लिखा था कि या तो उन्हें न्याय मित्र से हटा दिया जाए या असहयोग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएं। गुप्ता ने स्थाई लोक अदालत को न्याय मित्र नियुक्त होने के बाद किए गए कार्यों से भी अवगत कराया था। इस पर स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कथन किया कि प्राप्त रिपोर्ट के अवलोकन के बाद प्रतीत होता है कि अप्रार्थीगण द्वारा न्याय मित्र को मुताबिक अंतरिम आदेश के पर्याप्त सहयोग प्रदान नहीं किया जा रहा है। न्यायालय ने आगामी पेशी 23 अप्रेल को निर्धारित की और अप्रार्थीगण व्यक्तिश: या प्रतिनिधि के उपस्थित होने के आदेश दिए। न्यायालय ने अप्रार्थीगण से न्याय मित्र को सहयोग नहीं देने पर तलब किया और स्पष्टीकरण मांगा।

ये आदेश दिया अस्थायी लोक अदालत बांसवाड़ा ने आदेश
स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष के आदेश पर 23 अप्रेल की पेशी पर अप्रार्थीगण की ओर से अधिकारी राजकुमार जैन उपस्थित हुए और आयुक्त का 22 अप्रेल से 24 अप्रेल तक ट्रेनिंग में होना बताया गया। राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक ने जिला कलेक्टर एवं उनके प्रतिनिधि के वीसी में होने की जानकारी दी। न्याय मित्र स्वयं न्यायालय में उपस्थित रहे। न्याय मित्र ने न्यायालय से आग्रह किया कि उन्हें न्याय मित्र से हटा दिया जाएं अथवा असहयोग करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएं। इस पर नगर परिषद के अधिकारी ने न्यायालय एवं न्यायमित्र को पूर्ण सहयोग करने तत्पर रहने तथा आवश्यक रूप से जवाब पेश करने सात दिवस का समय चाहा गया। न्यायालय ने न्यायहित में सात दिवस का समय दिया। साथ ही आगामी पेशी पर जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए। अप्रार्थीगण के अधिकारी एवं लोक अभियोजक को निर्देश दिए है कि न्याय मित्र को पूर्ण रूप से सहयोग प्रदान किया जाएं। इस आदेशिका के बाद न्याय मित्र द्वारा यदि लिखित में किसी प्रकार की असहयोगात्मक अथवा असुविधात्मक कार्यवाही प्रेषित की गई तो यह न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी। न्यायालय अप्रार्थीगण के विरूद्ध न्यायालय की अवमानना और दांडिक कार्यवाही के लिए अग्रसर होगी।

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