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ग्रामीणों ने किया कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, राहड़ों का बास को ग्राम पंचायत बासड़ी में शामिल करने का विरोध


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

ग्रामीणों ने किया कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, राहड़ों का बास को ग्राम पंचायत बासड़ी में शामिल करने का विरोध

ग्रामीणों ने किया कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, राहड़ों का बास को ग्राम पंचायत बासड़ी में शामिल करने का विरोध

झुंझुनूं : जिले के अलसीसर पंचायत समिति क्षेत्र के ग्राम राहड़ों का बास को नवसृजित ग्राम पंचायत बासड़ी में शामिल किए जाने विरोध शुरू हो गया है। ग्रामवासियों ने एकजुट होकर कलेक्ट्रेट प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से इस निर्णय को अविलंब निरस्त कर राहड़ों का बास को पुनः ग्राम पंचायत लादूसर में ही यथावत बनाए रखने की मांग की।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह निर्णय पूरी तरह से एकतरफा और जनभावनाओं की अनदेखी करते हुए लिया गया है। उनका कहना है कि इस फैसले में ग्रामवासियों की कोई सहमति नहीं ली गई, जबकि गांव की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजस्वीय स्थिति पूरी तरह से लादूसर से जुड़ी हुई है।

ग्रामीणों ने बताया कि राहड़ों का बास मूल रूप से लादूसर गांव का ही हिस्सा रहा है। उनके पूर्वज लादूसर से ही निकलकर खेतों में छोटी-छोटी ढाणियों में बस गए थे, जिन्हें बाद में मिलाकर राजस्व ग्राम घोषित किया गया। आज भी राहड़ों का बास की कृषि भूमि लादूसर के राजस्व रिकार्ड में दर्ज है और पुराने मकानों की जमीन भी लादूसर की आबादी भूमि में आती है।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि राहड़ों का बास विभिन्न ढाणियों का समूह है – जैसे राहड़ों की ढाणी, ढाका की ढाणी, दतुससियों की ढाणी, स्वामियों की ढाणी, मेघवालों की ढाणी और दनेवा की ढाणी। ये सभी बासड़ी से छह किलोमीटर या उससे अधिक दूरी पर स्थित हैं, जिससे ग्राम पंचायत बासड़ी से इनका कोई भौगोलिक निकटता या सुविधाजनक संपर्क नहीं बनता।

ग्रामवासियों ने बताया कि राहड़ों का बास से ग्राम बासड़ी तक कोई सुगम सड़क या आवागमन का साधन उपलब्ध नहीं है। वहीं राजस्व रिकॉर्ड भी लादूसर और निकटवर्ती शोभा का बास से संबद्ध है, जिससे बासड़ी से इसका कोई प्रशासनिक या राजस्वीय संबंध नहीं बनता।

गांव के लोगों ने मांग की है कि जनभावनाओं और भूगोलिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राहड़ों का बास को ग्राम पंचायत लादूसर में ही बनाए रखा जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया, तो वे आंदोलन को और व्यापक रूप देंगे।

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