सिंघानिया विश्वविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनार: अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बदलते हुए रुझानों का विश्लेषण – उभरता हुआ भारत और इसकी चुनौतियाँ
सिंघानिया विश्वविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनार: अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बदलते हुए रुझानों का विश्लेषण - उभरता हुआ भारत और इसकी चुनौतियाँ

पचेरी कलां : सिंघानिया विश्वविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें “अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बदलते हुए रुझानों का विश्लेषण: उभरता हुआ भारत और इसकी चुनौतियाँ” विषय पर चर्चा की गई। सेमिनार का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका और इसके भविष्य के रुझानों को समझना था।इस कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ताओं ने भारत के आंतरराष्ट्रीय संबंधों में बदलाव, वैश्विक शक्ति संरचनाओं में उभरते रुझान, और भारत के सामने आने वाली आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों पर अपनी राय व्यक्त की।
इस कार्यक्रम में डॉ. नचिकेता सिंह, प्रधानाचार्य, श्याम लाल कॉलेज (एसएलसी), दिल्ली विश्वविद्यालय, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कहा, “आज का भारत वैश्विक मंच पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की भूमिका बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही हमें अपनी आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है।भारत के सामने एक ओर बड़ी चुनौती यह है कि हम वैश्विक राजनीति में अपनी स्थिरता बनाए रखें और साथ ही अपने आर्थिक और सामाजिक विकास को प्राथमिकता दें। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की नीति को समझना और उसका सही मार्गदर्शन करना आज की आवश्यकता है।”भारत को वैश्विक शक्ति बनने के लिए हमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “भारत की शक्ति उसकी विविधता में है, और यह विविधता केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं हो सकती। ग्रामीण और शहरी इलाकों को एक साथ जोड़कर ही हम एक सशक्त और समग्र राष्ट्र बना सकते हैं।
डॉ. संगीता ढल, राजनीतिक विज्ञान विभाग, कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने संबोधन में “ई-गवर्नेंस के माध्यम से गवर्नेंस डिफिसिट को दूर करना: पहल और चुनौतियाँ” पर विस्तृत विचार साझा किए। उन्होंने कहा ई-गवर्नेंस से सरकार की योजनाओं और नीतियों को नागरिकों तक बेहतर और तेज़ी से पहुँचाया जा सकता है| भारत में ई-गवर्नेंस के कई सफल उदाहरण हैं, जैसे आधार, डिजी-लॉकर, और प्रधानमंत्री जन धन योजना, लेकिन इन पहलों को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए हमें तकनीकी साक्षरता को बढ़ावा देना होगा और डिजिटल अवसंरचना को हर स्तर पर सुधारना होगा। उनकी यह बातें दर्शाती हैं कि ई-गवर्नेंस न केवल प्रशासन में सुधार ला सकता है, बल्कि यह भारत में शासन और विकास की प्रक्रिया को भी अधिक प्रभावी बना सकता ।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कैंपस डायरेक्टर प्रोफेसर पी एस जस्सल ने कहा, “यह सेमिनार हमारे विश्वविद्यालय के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि इसमें वे वैश्विक राजनीति और भारत की बढ़ती भूमिका के बारे में गहरे विचार-विमर्श में भाग ले सकते हैं। विश्वविद्यालय का उद्देश्य हमेशा छात्रों को न केवल अकादमिक ज्ञान बल्कि वैश्विक दृष्टिकोण भी प्रदान करना है।”
कार्यक्रम के समापन पर, सिंघानिया विश्वविद्यालय और श्याम लाल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते के तहत, विश्वविद्यालय और कॉलेज मिलकर विभिन्न शैक्षिक, सांस्कृतिक और तकनीकी पहलुओं पर कार्य करेंगे, जिससे छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए नए अवसर उत्पन्न होंगे। यह समझौता दोनों संस्थानों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने और एक दूसरे के अनुभव से लाभ उठाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इस अवसर पर संस्था के सभी गणमान्य टीचिंग, नॉन टीचिंग स्टाफ और विद्यार्थी मौजूद रहें|