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मारवाड़ में ओरण का मुद्दा फिर सदन में गूंजा, MLA भाटी की सियासत के तोड़ के लिए BJP ने चला ये दांव


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मारवाड़ में ओरण का मुद्दा फिर सदन में गूंजा, MLA भाटी की सियासत के तोड़ के लिए BJP ने चला ये दांव

राजस्थान में ओरण भूमि आवंटन को लेकर मारवाड़ की राजनीति गर्मा गई है। निर्दलीय विधायक भाटी और ग्रामीण ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, जिससे विधानसभा का माहौल गरमा गया है।

जयपुर : राजस्थान में पिछले कई महीने से ओरण भूमि आवंटन को लेकर मारवाड़ की सियासत गरमाई हुई है। बीजेपी को घेरने के लिए विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ओरण बचाओ का स्लोगन लिखी टी-शर्ट पहनकर विधानसभा पहुंचे। वहीं, बुधवार को बीजेपी ने कांग्रेस और इनके समर्थित निर्दलीय विधायकों पर ओरण की जमीन खुर्द-बुर्द करने के आरोप विधानसभा में लगा दिए। बीजेपी विधायक केसाराम चौधरी ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस समर्थित पूर्व निर्दलीय विधायक पर करीब 240 बीघा ओरण की जमीन को खुर्द-बुर्द करने के आरोप लगाए।

बता दें कि मारवाड़ के लिए यह मुद्दा नया नहीं है। ओरण के नाम पर आंदोलन पहले भी होते रहे हैं। लेकिन इससे लोगों के सेंटिमेंट्स जुड़े हुए हैं। ऐसे में हाल में निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी का ओरण आंदोलन बीजेपी सरकार के लिए बड़ा मुद्दा बन गया था।

यह ऐसा मुद्दा है, जिसकी प्रशासनिक काट संभव नहीं है। इसलिए बीजेपी ने इसका सियासी तोड़ ढूंढा है। विधानसभा में बुधवार को मारवाड़ जंक्शन के बीजेपी विधायक केसाराम चौधरी ने ओरण भूमि से जुड़ा सवाल किया। इस पर कांग्रेस घिरती नजर आई। सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री ने ओरण भूमि को खातेदारी में दर्ज करने वालों के नाम सदन में लिए, जिनमें कांग्रेस को समर्थन देने वाले पूर्व विधायक खुशवीर सिंह जोझावर और उनकी पत्नी के नाम भी शामिल थे। बीजेपी ने आरोप लगाने में देरी नहीं की कि कांग्रेस के लोग ओरण भूमि को खा गए।

जैसलमेर में अदाणी के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने के लिए आंदोलन
जैसलमेर में बईया गांव में ओरण जमीन पर सोलर कंपनी का काम शुरू होना है। यह कंपनी अदाणी समूह की है। इसलिए कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है। निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी इस मामले में आंदोलन चलाए हुए हैं। इसे ग्रामीण ओरण की जमीन बताते हुए वहां काम शुरू नहीं होने की बात कर रहे रहे हैं। साथ ही ओरण को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने के बाद ही सरकार की ओर से उन्हें अलॉट किए गए स्थान पर काम शुरू करने की मांग पर अड़े हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जो जमीन अलॉट हुई, उसमें से ओरण भूमि या गोचर भूमि को अलग कर कंपनी को अपना प्लांट शुरू करवाना चाहिए।

आखिर ये ओरण क्या है
दरअसल, ओरण शब्द का मतलब वन या वन भूमि से है। गांवों में ऐसी जमीन जहां पर न खेती होती और न ही यहां पेड़ों की कटाई होती है। यहीं पर पशु-पक्षी बिना किसी परेशानी के विचरण करते हैं। इसे ओण, ओवण और ओरांस भी कहा जाता है। राजस्थान में समय-समय पर ओरण बचाओ आंदोलन होते रहे हैं। कुछ जगहों पर इसे गोचर भी कहा जाता है।

बता दें कि पूर्व में भी जैसलमेर जिले में ओरण भूमि निजी कंपनियों को देने के विरोध में आंदोलन चलाए गए। साल 2020-21 के दौरान जैसलमेर की 55 किमी लंबी ओरण भूमि को बचाने के लिए ओरण परिक्रमा के नाम से आंदोलन शुरू किया गया था।

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