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एक बार कोशिश तो करिए…जयपुर में जिंदगी बचाने वाला कॉल-सेंटर:एक फोन से बाथरूम में बंद बच्चा बच गया, युवक भी रेलवे ट्रैक पर नहीं लेटा


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एक बार कोशिश तो करिए…जयपुर में जिंदगी बचाने वाला कॉल-सेंटर:एक फोन से बाथरूम में बंद बच्चा बच गया, युवक भी रेलवे ट्रैक पर नहीं लेटा

एक बार कोशिश तो करिए...जयपुर में जिंदगी बचाने वाला कॉल-सेंटर:एक फोन से बाथरूम में बंद बच्चा बच गया, युवक भी रेलवे ट्रैक पर नहीं लेटा

जयपुर : ‘मैं सबसे ज्यादा खुश या तो बचपन में थी या नींद में। अब बचपन तो वापस आ नहीं सकता तो मैं हमेशा की नींद में जा रही हूं। मौत के बाद क्या होता है नहीं पता पर शायद शांति तो होती ही होगी’

….ये आखिरी शब्द जयपुर के मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MNIT) की बीटेक की छात्रा दिव्या ने 20 जनवरी को आत्महत्या करने से पहले लिखे थे। दिव्या की तरह कम उम्र के युवा हर साल हजारों की संख्या में मौत को गले लगा रहे हैं।

कोटा में केवल जनवरी 2025 में (23 जनवरी तक) 6 कोचिंग छात्र सुसाइड कर चुके हैं। आंकड़े गवाह हैं, राजस्थान में वर्ष 2019 से 2022 के बीच महज 4 साल में करीब 21 हजार लोगों ने खुदकुशी कर ली।

बढ़ते सुसाइड के कारण क्या हैं? यह जानने और समझने के लिए हम जयपुर के मनोचिकित्सालय में संचालित टेली-मानस केंद्र पहुंचे। जहां पिछले तीन वर्षों में प्रदेशभर से 26 हजार से अधिक ऐसे लोगों ने कॉल किए जो सुसाइड करने जा रहे थे।

उन्हें काउंसलिंग के जरिए रोका गया। हमनें वहां करीब 4 घंटे बिताए और गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए उन केस को नोटिस किया जो सुसाइड के मुहाने पर खड़े थे। पढ़िए ये रिपोर्ट….

जयपुर के मनोचिकित्सालय में संचालित टेली-मानस का कॉल सेंटर पर 24 घंटे फ्री हेल्पलाइन नंबर 14416 व 18008914416 पर सैकड़ों कॉल्स आते हैं।

जब कोई व्यक्ति कॉल करता है, तो काउंसलर सबसे पहले उसकी समस्या को ध्यानपूर्वक सुनते हैं और फिर उसके अनुसार उचित मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

टेली मानस सेंटर का टोल फ्री नंबर 24 घंटे चालू रहता है जहां मौजूद काउंसलर उनकी मदद करता है।
टेली मानस सेंटर का टोल फ्री नंबर 24 घंटे चालू रहता है जहां मौजूद काउंसलर उनकी मदद करता है।

केस-1 : 17 साल के बच्चे को टेबल पर बिखरा सामान दे रहा था टेंशन

जब हम टेली-मानस के हेल्पलाइन सेंटर में दाखिल हुए, तब काउंसलर के पास एक कॉल आया हुआ था। यह कॉल जयपुर निवासी एक 17 वर्षीय युवक का था, जो मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा (NEET) की तैयारी के कारण तनाव में था। बच्चा ओसीडी (Obsessive-Compulsive Disorder) से भी जूझ रहा था। युवक पहले भी दो-तीन बार काउंसलिंग के लिए टेली-मानस पर कॉल कर चुका था।

टेली मानस सेंटर पर मौजूद काउंसलर ने बच्चे से बात की और मार्गदर्शन किया।
टेली मानस सेंटर पर मौजूद काउंसलर ने बच्चे से बात की और मार्गदर्शन किया।

उसने काउंसलर को बताया कि ओसीडी के कारण वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा है। उसे बार-बार ऐसा लगता है कि उसकी टेबल पर रखा सामान व्यवस्थित नहीं है। वह बार-बार उसे सही करने में लगा रहता है। इस वजह से उसकी पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। काउंसलर ने उसकी बात ध्यान से सुनी, साथ ही एक मनोचिकित्सक से संपर्क करने की सलाह भी दी, ताकि वह अपनी परेशानी का उचित समाधान प्राप्त कर सके।

केस-2 : मैं बालकनी में खड़ी हूं, जान देना चाहती हूं

हमें जयपुर स्थित टेली मानस के कॉल सेंटर पर अभी आधा घंटा ही हुआ था कि फिर एक घंटी बजी। इस बार कॉल पर एक लड़की थी…जैसे ही काउंसलर ने कॉल रिसीव किया लड़की ने कहा- ‘मैं बालकनी में खड़ी हूं, मेरा मन बहुत खराब हो रहा है और मैं अपनी जान देना चाहती हूं,”

22 साल की शिवानी (बदला हुआ नाम) ने काउंसलर को बताया कि सीकर की रहने वाली है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अपने जॉइंट फैमिली छोड़कर एक बड़े शहर में अकेली रह रही है। परिवार से दूर होने और पढ़ाई के दबाव ने उसे अंदर से तोड़ दिया। उसे लगातार अकेलापन महसूस हो रहा है, नींद नहीं आती।

उसकी रूममेट ने उसे टेली-मानस हेल्पलाइन पर कॉल करने की सलाह दी। शिवानी ने कॉल करके अपनी मानसिक स्थिति साझा की। काउंसलर ने उसकी बात ध्यान से सुनी, उसका पता और संपर्क के लिए जानकारी ली और तुरंत एक सुरक्षा योजना बनाकर शिवानी की जान बचाई। इस पूरे घटनाक्रम में लगभग एक घंटे का समय लगा…

निदेशक जन स्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि शिवानी की तरह टेली मानस सेंटर पर काउंसलर को रोज ऐसे केस से गुजरना पड़ता है। कई बार ऐसे केस आते हैं कि छोटे-छोटे बच्चे भी मामूली सी बातों पर सुसाइड के विचार करने लगते हैं। उनकी काउंसलिंग कर समझाया जाता है।

मनोवैज्ञानिक परामर्श केंद्र में ही टेली मानस सेंटर संचालित है।
मनोवैज्ञानिक परामर्श केंद्र में ही टेली मानस सेंटर संचालित है।

केस -3 : स्कूल के बाथरूम में बंद कर कॉल किया- मुझे कोई प्यार नहीं करता

14 साल का सनी (बदला हुआ नाम) जयपुर के एक निजी स्कूल में पढ़ता है। एक दिन उसने अचानक खुद को स्कूल के बाथरूम में बंद कर लिया और टेली-मानस हेल्पलाइन पर फोन किया। उसने बताया कि वह बेहद दुखी है और उसने अपने हाथ को चोट पहुंचाई है।

जब काउंसलर ने सनी की मां से बात की, तो पता चला कि सनी को वीडियो गेम की लत थी। वह दिनभर पबजी जैसे गेम्स में अपना समय बर्बाद करता था।

सनी की मां ने उससे फोन छीन लिया था और उसे गेम खेलने से मना कर दिया था। इस बात से सनी नाराज था और उसे लगा कि उसकी मां उसे प्यार नहीं करती। बीते कुछ समय से सनी का व्यवहार बदला हुआ था। वो चुप रहने लगा था। बच्चों के साथ खेलता भी नहीं था वो उदास रहने लगा था। खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश करता था।

काउंसलर ने तुरंत सनी को समझाया और उसकी मां को भी सलाह दी कि वे सनी के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करें। इस मामले में सनी को मनोचिकित्सक के साथ सेशन कराने की सलाह दी गई।

केस -4 : मैं रेलवे स्टेशन पर खड़ा हूं और ट्रेन के आगे कूदने वाला हूं।

इसी तरह एक बार कॉल आया- ‘मैं अब और नहीं जी सकता, मेरे पास नौकरी नहीं है, पैसा नहीं है, और अब मैं परेशान हो चुका हूं। मैं रेलवे स्टेशन पर खड़ा हूं और ट्रेन के आगे कूदने वाला हूं।” टेली-मानस के कॉल सेंटर पर आई इस कॉल ने वहां मौजूद काउंसलर को भी डरा दिया। फोन पर विवेक (बदला हुआ नाम) था, जो जीवन से पूरी तरह हार चुका था। ये कॉल लगभग एक घंटे चला। इस दौरान विवेक को समझाया गया कि वो आत्महत्या नहीं करे।

युवक सुसाइड करने ही वाला था कि एक कॉल ने उसकी जिंदगी बचा ली।
युवक सुसाइड करने ही वाला था कि एक कॉल ने उसकी जिंदगी बचा ली।

विवेक एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। लेकिन अचानक उसे नौकरी से निकाल दिया गया। बेरोजगारी के कारण वह दुखी और हताश रहने लगा था। अपनी स्थिति से परेशान होकर विवेक ने शराब पीना शुरू कर दिया था। घर में आर्थिक समस्याएं बढ़ी और विवेक और उसकी पत्नी के बीच भी झगड़े होने लगे।

जिसके बाद विवेक की पत्नी नाराज होकर मायके जाने के लिए जैसे ही निकली विवेक भी उसके पीछे पीछे रेलवे स्टेशन पहुंच गया। वहां पर दीवार पर चिपके हुए पोस्टर पर आत्महत्या न करने की चेतावनी के साथ ही हेल्पलाइन नंबर लिखा था। जिसे पढ़कर उसने कॉल किया। शायद यही वो कॉल था जिसने विवेक को आत्महत्या जैसा कदम उठाने से रोक लिया।

टॉप 5 कारणों में उदासी बड़ी वजह, 18 से 45 साल की उम्र के लोग सबसे अधिक उदास

राजस्थान में मानसिक स्वास्थ्य एक बढ़ती हुई चुनौती के रूप में उभर रहा है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक, 18 से 45 साल की उम्र के लोग सबसे अधिक उदास, तनाव और खुशी की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। टेली-मानस केंद्र को राजस्थान में पिछले तीन वर्षों में 26,101 कॉल्स मिली हैं।

इन कॉल्स में सामने आया कि सुसाइड का विचार आने के पीछे शीर्ष पांच कारणों में उदासी सबसे मुख्य है। वहीं दूसरे नंबर पर एग्जाम से संबंधित या पढ़ाई से संबंधित तनाव है। तीसरे नंबर पर व्यवहार में नकारात्मकता और चौथे नंबर पर हमेशा चिंतित रहना है। वहीं पांचवें नंबर पर रिलेशन संबंधी समस्याएं है। साथ ही टेली-मानस हेल्पलाइन पर अधिकांश कॉल करने वाले पुरुष (78%) और 18-45 वर्ष की आयु के (77%) है।

4 साल में 22 हजार के करीब लोगों ने की खुदकुशी

राजस्थान विधानसभा में पेश एक रिपोर्ट के अनुसार कोटा में वर्ष 2015 से जुलाई 2024 तक कुल 127 बच्चों ने आत्महत्या की है। अभी 23 जनवरी 2025 तक 6 स्टूडेंट्स के मौत की खबर सामने आ चुकी है। ये आंकड़ा सिर्फ कोटा का है राजस्थान में हर रोज आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2019 से 2022 के बीच में राजस्थान में कुल 21 हजार 125 लोगों ने आत्महत्या की थी।

मानसिक स्वास्थ्य बजट आवंटित किया जाए

राजस्थान के पिछले बजट में स्वास्थ्य के लिए 8.26% आवंटित किया गया था। लेकिन मेंटल हेल्थ के लिए अलग से कोई बजट निर्धारित नहीं किया गया था। लेकिन इस बार बढ़ते आत्महत्या के मामलों और प्रदेशवासियों की गिरती मेंटल हेल्थ को देखते हुए अलग से मानसिक स्वास्थ्य बजट की मांग की जा रही है। हाल ही में सीएम भजनलाल शर्मा ने स्वास्थ्य विभाग से जुड़े प्रतिनिधियों से बातचीत की थी इस दौरान भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए सरकार से अलग से बजट की मांग रखी गई थी।

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ भूपेश दीक्षित के बताया कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 के अनुसार राज्य में करीब 80 लाख से अधिक लोग मानसिक रोग से ग्रसित हैं। करीब 80 हजार लोग हाई सुसाइड रिस्क जोन में हैं। प्रदेश में आत्महत्या रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य कल्याण का नोडल विभाग चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग है।

क्या है टेली मानस?

सरकार ने मेंटल हेल्थ एडवाइज और इमोशनल सपोर्ट देने के लिए ‘टेली मानस’ के तौर पर 24 घंटे की निशुल्क टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर सेवा के शुरू की है। जिस पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर सलाह ली जा रही है। 2016 भारत सरकार के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार 18 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं में मेंटल डिप्रेशन का स्तर करीब 10.6% पाया गया। युवाओं में मेंटल डिप्रेशन कम करने के लिए सरकार की ओर से 24 घंटे निशुल्क टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 14416 व 18008914416 सेवा शुरू की गई है।

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