[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

नीमकाथाना से जिले का दर्जा छीनने के खिलाफ सुनवाई आज:गंगापुरसिटी को लेकर हाई कोर्ट पहले ही मांग चुका है सरकार से जवाब, राजनीतिक कारणों से दर्जा छीनने का आरोप


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
टॉप न्यूज़नीमकाथानाराजस्थानराज्यसीकर

नीमकाथाना से जिले का दर्जा छीनने के खिलाफ सुनवाई आज:गंगापुरसिटी को लेकर हाई कोर्ट पहले ही मांग चुका है सरकार से जवाब, राजनीतिक कारणों से दर्जा छीनने का आरोप

नीमकाथाना से जिले का दर्जा छीनने के खिलाफ सुनवाई आज:गंगापुरसिटी को लेकर हाई कोर्ट पहले ही मांग चुका है सरकार से जवाब, राजनीतिक कारणों से दर्जा छीनने का आरोप

नीमकाथाना : नीमकाथाना से जिले का दर्जा छीनने के खिलाफ दायर याचिका पर आज राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ आज मामले की सुनवाई करेगी।

नीमकाथाना से पूर्व विधायक (कांग्रेस) रमेश चंद्र खंडेलवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके सरकार के निर्णय को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया है कि 29 दिसंबर 2024 को अधिसूचना जारी कर नीमकाथाना से जिले का दर्जा छीन लिया गया। कुछ अन्य जिलों को राजनीतिक कारणों से बरकरार रखा है। करीब तीन दशक से नीमकाथाना को जिला बनाने की मांग की जा रही थी। ऐसे में जिला रद्द करने की अधिसूचना को निरस्त किया जाए।

जिला बनने से आई अपराध में कमी

याचिकाकर्ता के वकील निखिल सैनी ने कहा- राज्य सरकार ने रामलुभाया कमेटी की सिफारिशों और तय मापदंडों के आधार पर नीमकाथाना सहित अन्य जिले बनाए थे। उसके बाद यहां सरकारी कार्यालय और बस स्टैंड आदि के लिए जमीन आवंटित हो चुकी है।

इसके साथ ही जिला कलेक्टर सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को भी जिले में नियुक्त किया गया। कानून व्यवस्था पर भी प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया गया और इससे क्षेत्र में अपराध दर में भी कमी आई।

गंगापुर सिटी के केस में हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा था जवाब

गंगापुर सिटी से जिले का दर्जा खत्म करने पर 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था। याचिका में कहा गया था कि सरकार का यह फैसला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। गंगापुर सिटी को जिला बने डेढ़ साल हो गया है। यहां जिला कलेक्टर और एसपी ऑफिस खुल गए हैं। सभी तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप हो गया है। अब सरकार बदलने के साथ ही राजनीति से प्रेरित होकर जिले को खत्म करने का फैसला लिया गया है, जो जनहित में नहीं है।

28 दिसंबर को हुआ था फैसला

28 दिसंबर 2024 को कैबिनेट की बैठक में भजनलाल सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार में बने नए जिलों में से 9 जिलों और 3 संभागों को कैंसिल करने का फैसला लिया था।

कानून मंत्री ने बताया था- इनकी उपयोगिता नहीं

कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा था कि चुनाव से पहले नए जिले और संभाग बनाए गए थे। इनकी उपयोगिता नहीं थी। वित्तीय संसाधन और जनसंख्या के पहलुओं को अनदेखा किया गया था। अनेक जिले ऐसे थे, जिनमें 6-7 तहसीलें नहीं थीं।

जिलों को रिव्यू करने के लिए मंत्रियों की कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने भी ललित पंवार कमेटी की सिफारिश को आधार बनाकर मापदंडों पर खरा नहीं उतरने पर जिले कैंसिल करने की सिफारिश की थी। इसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी।

गहलोत सरकार ने 17 नए जिले और 3 नए संभाग बनाए थे

गहलोत सरकार ने 17 नए जिले और 3 संभाग बनाए थे। इनमें जयपुर और जोधपुर के 2-2 टुकड़े किए गए थे। नए जिलों में अनूपगढ़, गंगापुर सिटी, कोटपूतली, बालोतरा, जयपुर ग्रामीण, खैरथल, ब्यावर, नीमकाथाना, डीग, जोधपुर ग्रामीण, फलोदी, डीडवाना, सलूंबर, दूदू, केकड़ी, सांचौर और शाहपुरा शामिल थे। बांसवाड़ा, पाली और सीकर को संभाग बनाया था।

Related Articles