गोठड़ा में डालमिया सीमेंट लिमिटेड की पर्यावरणीय NOC जनसुनवाई: किसानों का तीखा विरोध
किसानों ने कंपनी के खिलाफ नारे लगाए, इससे करीब एक घंटे तक जनसुनवाई बाधित रही

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : रविंद्र पारीक
गोठड़ा : राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा गोठड़ा-परसरामपुरा पूर्व ब्लॉक में डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड की प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना और क्रशर स्थापना को पर्यावरणीय स्वीकृति (NOC) देने के लिए जनसुनवाई आयोजित की गई। इस जनसुनवाई की अध्यक्षता एडीएम (उप जिला कलेक्टर) ने की। इसमें बड़ी संख्या में किसान, ग्रामीण और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
जनसुनवाई का मुख्य विषय:
डालमिया सीमेंट लिमिटेड ने गोठड़ा-परसरामपुरा ब्लॉक में 460.4006 हेक्टेयर क्षेत्र में चूना पत्थर उत्पादन (30 मिलियन टन/वर्ष) और 1000 टन/घंटा क्षमता वाले क्रशर की स्थापना के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति मांगी है। इस परियोजना से संबंधित पर्यावरणीय प्रभावों और ग्रामीणों की चिंताओं को सुनने के लिए यह जनसुनवाई आयोजित की गई।
किसानों और ग्रामीणों का विरोध:
जनसुनवाई में किसानों ने अपनी समस्याएं और सवाल उठाए। उनका कहना था कि परियोजना से पर्यावरणीय क्षति के तहत खनन और सीमेंट उत्पादन के कारण जल, वायु और मृदा प्रदूषण बढ़ेगा। खनन क्षेत्र के कारण पशुओं के लिए चारागाह भूमि खत्म हो जाएगी। किसानों ने पूछा कि कितने पेड़ काटे जाएंगे और उनके बदले कितने पेड़ लगाए जाएंगे। किसानों ने उचित मुआवजे और स्थानीय युवाओं को रोजगार की मांग की।मंदिर माफी जमीन के उपयोग को लेकर भी स्पष्टता मांगी।किसानों ने श्री सीमेंट को दी गई NOC का भी जिक्र किया, जिसे उनके विरोध के बावजूद स्वीकृत किया गया था।
घटनाक्रम और विवाद:
प्रधान दिनेश सुंडा ने जनसुनवाई में प्रशासन और कंपनी के अधिकारियों पर किसानों की चिंताओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। जब किसानों के सवालों का सही जवाब नहीं दिया गया, तो उन्होंने मंच पर जाकर अधिकारियों के सामने बैठकर विरोध जताया। इस घटना ने जनसुनवाई का माहौल तनावपूर्ण कर दिया।
प्रमुख उपस्थित लोग:
जनसुनवाई में एडीएम के साथ एसडीएम जय सिंह, पुलिस उप अधीक्षक राजवीर सिंह, नवलगढ़ के प्रधान दिनेश सुंडा, पंचायत समिति सदस्य प्रताप पूनिया, गोठड़ा सरपंच अर्जुन वाल्मीकि, परसरामपुरा सरपंच कणीराम, किसान नेता कैलाश यादव, बलबीर यादव, तेजपाल स्वामी सहित सैकड़ों किसान उपस्थित थे।
कंपनी और प्रशासन का आश्वासन:
डालमिया सीमेंट लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने किसानों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं और सुझावों पर विचार किया जाएगा, किसानों से वन टू वन वार्ता करके ही उनकी जमीन खरीदी जाएगी, पर्यावरण सरंक्षण के जो भी मापदंड होंगे, उनको पूरा किया जायेगा। प्रशासन ने कहा कि किसानों और ग्रामीणों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
किसानों की चेतावनी:
किसानों ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करेंगे। उनका कहना था कि पर्यावरण और कृषि के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
किसने क्या कहा?
दिनेश सुंडा ने कहा कि किसानों का हक नहीं मारने दिया जाएगा। कैलाश यादव ने कहा कि किसानों की जमीनों के खसरा नंबर नहीं बताया गए कि माइनिंग का पर होगी, जनसुनवाई के नाम पर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। कंपनी किसानों से 450 हैक्टर भूमि ले रही है, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से सिर्फ 85 किसानों को रोजगार मिलेगा। किसान अपनी जमीन नहीं देंगे, इसलिए पर्यावरण एनओसी नहीं मिलनी चाहिए। राजेश दूत ने कहा कि जमीन के भाव की बात किसान से होनी चाहिए।
विजेंद्रसिंह सुंडा ने कहा कि वर्तमान में जमीन के भाव 26 लाख रुपए बीघा है, इसलिए किसानों को चार गुणा भाव मिलने चाहिए। कंपनी वाटर लेवल के मामले में गुमराह कर रही है।
सरपंच करणीराम ने कहा कि कंपनी को किसानों को उचित मुआवजा देना ही होगा। किशनलाल गुर्जर ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के बारे में कोई चर्चा नहीं की गई।
पंचायत समिति सदस्य प्रताप पूनिया ने कहा कि वे डवलपमेंट के पक्ष में है, लेकिन किसानों व युवाओं के हितों का ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने एडीएम से पूछा कि क्या इस मामले में भूमि अधिग्रहण कानून लागू होगा क्या, जिस पर एडीएम ने कहा कि यह कानून लागू नहीं होगा। पूनिया ने कहा कि अगर कंपनी ने किसानों के हितों का ध्यान नहीं रखा तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
आशीष पचार ने कहा कि किसानों के हितों के लड़ाई जारी रहेगी। बनवारीलाल चौधरी, गोविंदराम जैदिया, मदनसिंह यादव, महीपाल, एडवोकेट तेजपाल सहित कई किसानों ने अपनी बात रखी। कुछ किसानों ने मार्केट रेट के चार गुणा भाव देने की मांग की।
एडीएम अजय आर्य ने कहा कि किसानों की ओर से जो भी दावे व आपत्ति की गई है, उन पर नियमानुसार कंपनी कार्रवाई करेगी।