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बॉर्डर की रखवाली करेंगे टाइगर का शिकार करने वाले डॉग्स:बीकानेर के BSF कैंप में चल रही ट्रेनिंग, भारत-पाक सीमा पर तैनात किए जाएंगे


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बॉर्डर की रखवाली करेंगे टाइगर का शिकार करने वाले डॉग्स:बीकानेर के BSF कैंप में चल रही ट्रेनिंग, भारत-पाक सीमा पर तैनात किए जाएंगे

बॉर्डर की रखवाली करेंगे टाइगर का शिकार करने वाले डॉग्स:बीकानेर के BSF कैंप में चल रही ट्रेनिंग, भारत-पाक सीमा पर तैनात किए जाएंगे

जर्मन शेफर्ड…दुनिया के 10 सबसे खतरनाक डॉग्स में से एक। वजन 30 से 40 किलो, लेकिन खतरा भांपकर 108 किलो के दबाव से अटैक करता है।

रामपुर हाउंड्स…ऐसा खतरनाक डॉग, जिसका इस्तेमाल कभी शेर, बाघ और तेंदुओं के शिकार के लिए भी किया जाता था।

ऐसे ही 50 से ज्यादा खूंखार ट्रेंड डॉग्स को राजस्थान और गुजरात के बीच फैले भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात किया जाएगाश्रीगंगानगर में पाकिस्तानी तस्कर को पकड़ने में लैब्राडोर डॉग का अहम रोल रहा था।

फिलहाल इन डॉग्स को बीकानेर के जयपुर रोड स्थित BSF के परिसर में ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग में शामिल है…हथियार-बारूद और ड्रग्स ढूंढना गोली चलाने वाले दुश्मन पर हमला। अब तक करीब 80 से ज्यादा डॉग्स ने ट्रेनिंग ली है।

हमारे मीडिया कर्मी ने बीकानेर रेंज के उप महानिरीक्षक अजय लूथरा से बात की। सीमा सुरक्षा में लगे डॉग्स की ट्रेनिंग के बारे में जाना…

बीकानेर ट्रेनिंग सेंटर में इस ब्रीड के डॉग

जर्मन शेफर्ड :

ये दुनिया के 10 सबसे खतरनाक डॉग्स में से एक है। इसे पुलिसिया डॉग के रूप में भी इसे जाना जाता है। इसका वजन 30 से 40 किलो के बीच होता है, लेकिन दुश्मन पर हमला 108 किलो के दबाव से करता है। कई देशों में इसे पालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं। इससे बच पाना मुश्किल होता है।

रामपुर हाउंड्स (इंडियन) :

रामपुर हाउंड भारतीय डॉग्स की सबसे पुरानी नस्लों में से एक है। रामपुर हाउंड नस्ल का प्रजनन बहुत ही शक्तिशाली और क्रूर (अफगान हाउंड) नस्ल इंग्लिश ग्रेहाउंड से हुआ था।यह महाराजाओं के समय सियार नियंत्रण के लिए उनका सहायक डॉग होता था। इसका इस्तेमाल कभी-कभी शेर,बाघ और तेंदुओं के शिकार के लिए भी किया जाता था।

राउस मुधोल (इंडियन)-

इन डॉग्स को काफी चालाक माना जाता है। दिखने में काफी दुबले-पतले होते हैं, लेकिन हंटिंग में काफी तेज। दौड़ने में भी माहिर होते हैं। इनके देखने और सूंघने की शक्ति भी तेज होती है।

डॉग्स की 3 तरह की ट्रेनिंग

एक्सप्लोसिव ट्रेनिंग : हथियार और बारुद की खोजबीन करना सिखाते हैं।

नारकोटिक्स ट्रेनिंग : सूंघते-सूंघते नशीले सामान तक पहुंचने की ट्रेनिंग देते हैं।

असॉल्ट ट्रेनिंग : इस ट्रेनिंग में डॉग्स गोली चलाने वाले दुश्मन पर हमला कर देते हैं।

हर डॉग के साथ एक हैंडलर डॉग्स को सुबह-शाम ट्रेनिंग दी जाती है। एक डॉग के साथ एक हैंडलर होता है। ये हैंडलर BSF का एक जवान होता है। हर हैंडलर अपने डॉग का ध्यान रखता है। ट्रेनिंग के दौरान डॉग को सबसे पहले एक इशारे में बैठना, खड़ा होना सिखाया जाता है।

डॉग को चलते-चलते अचानक घूमने की ट्रेनिंग मिलती है। कुछ समय बाद डॉग को अलग-अलग नारकोटिक्स, हथियार, बारुद के बारे में ट्रेंड करते हैं। इतना तैयार कर दिया जाता है कि एक बार हेरोइन सूंघने के बाद उसे मैदान में छोड़ दिया जाए तो वह कुछ ही देर में छुपाई गई हेरोइन को बरामद कर लेगा।

ट्रेनिंग सेंटर में हर डॉग के साथ एक हैंडलर होता है। हैंडलर अपने डॉग का ध्यान रखता है।
ट्रेनिंग सेंटर में हर डॉग के साथ एक हैंडलर होता है। हैंडलर अपने डॉग का ध्यान रखता है।

इंसानों से पहले सुनेंगे ड्रोन की आवाज

डीआईजी लूथरा ने बताया- अब डॉग्स की सुनने की क्षमता पर काम चल रहा है। रिसर्च हो रहा है कि डॉग इंसान से कितनी दूरी से सुन सकते हैं। ड्रोन से तस्करी करने वाले तस्करों को पकड़ने के लिए इन डॉग्स का उपयोग हो सकता है। संभव है कि इंसान से पहले डॉग को ड्रोन की आवाज सुनाई दे। ऐसे में डॉग्स की सहायता से ड्रोन को पकड़ा जा सकता है।

खाने में चिकन, दूध, अंडा और मक्खन

डॉग्स के लिए अलग से हॉस्पिटल बनाया गया है, जहां बीमार डॉग्स की वेटरनरी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टॉफ की निगरानी में देखभाल की जाती है। ट्रेनिंग सेंटर में हर डॉग के लिए अलग बैरक है। बैरक में सर्दी से बचाने के लिए साधन दिए गए हैं। वहीं गर्मी के समय कूलर लगते हैं। बैरक में ही डॉग्स को भोजन दिया जाता है। डॉग्स को वेज और नॉनवेज दोनों तरह का फूड (चिकन, दूध, अंडा और मक्खन) दिया जाता है।

इसके अलावा टेनिंग सेंटर में डॉग्स की ब्रीडिंग भी हो रही है। हर साल बड़ी संख्या में डॉग्स जन्म लेते हैं। उन्हें तैयार किया जाता है। खास बात है कि यहां पैदा हुए डॉग्स शत-प्रतिशत जीवित रहे हैं और अच्छे से बड़े हो रहे हैं।

तैयार डॉग अलग-अलग पोस्ट पर तैनात

डीआईजी ने बताया- बीकानेर के ट्रेनिंग सेंटर से अब तक 20 डॉग्स को तैयार करके राजस्थान की अलग-अलग पोस्ट पर तैनात किया जा चुका है। वहीं 34 की ट्रेनिंग चल रही है। जिन क्षेत्रों में नारकोटिक्स तस्करी की समस्या ज्यादा है। वहां नारकोटिक्स सूंघने में ज्यादा सक्षम डॉग को तैनात किया गया है।

BSF ने राजस्थान फ्रंटियर को सौंपा जिम्मा

बीकानेर रेंज के उप महानिरीक्षक अजय लूथरा ने बताया- देश की सीमाओं और अंदरुनी सुरक्षा के लिए ग्वालियर के टेकनपुर में नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग्स है। पिछले साल BSF ने अपने स्तर पर डॉग्स तैयार करने का फैसला किया। इसका जिम्मा राजस्थान फ्रंटियर को दिया गया। फ्रंटियर ने ये काम बीकानेर को सौंप दिया।

अब “स्वान क्रांति फील्ड इंटीग्रेटेड प्रोग्राम” के तहत बीकानेर में जयपुर रोड स्थित बीएसएफ परिसर में डॉग्स को ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग वेटरनरी डॉक्टर डॉ. चोपाल की देखरेख में होती हैं। ट्रेनिंग देने के साथ ही डॉग्स के रहन-सहन को भी संभालते हैं। एएसआई बिश्म्भर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल कोमल प्रसाद, मनोज कुमार व दिलीप कुमार मुख्य रूप ट्रेनर के रूप में काम रहे हैं।

इन को ट्रेनिंग के बाद देश की सुरक्षा में लगाया जाएगा।
इन को ट्रेनिंग के बाद देश की सुरक्षा में लगाया जाएगा।

लेब्राडोर क्रिस ने पकड़ा था पाकिस्तानी तस्कर

श्रीगंगानगर की एक चौकी पर पाकिस्तानी तस्कर जब 60 करोड़ रुपए की नारकोटिक्स सामग्री लेकर जा रहा था। तब वहां पर तैनात लेब्राडोर क्रिस ने उसे पकड़ लिया था। ये एक काले रंग का खतरनाक डॉग है, जो नशे की सामग्री के पास पहुंच गया और दुश्मन को उसके आस-पास भी नहीं आने दिया।

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