बहरोड़ : जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के काफिले में घुसी एक टैक्सी नंबर कार की टक्कर से ASI सुरेंद्र सिंह (52) का निधन हो गया। वे बहरोड़-कोटपूतली में नीमराणा के गांव काठ का माजरा के रहने वाले थे और जयपुर कमिश्नरेट में तैनात थे। एक्सीडेंट जयपुर के जगतपुरा में अक्षयपात्र सर्किल पर बुधवार दोपहर करीब तीन बजे हुआ।
घटना से परिवार और पूरा गांव शोक में है। सदमे के डर से बुजुर्ग मां को मौत के बारे में नहीं बताया गया था। लेकिन जयपुर से बॉडी रवाना होने की सूचना पर सुरेंद्र के चाचा नाहर सिंह खुद को रोक नहीं पाए और फूट-फूटकर रोने लगे। इसके बाद पूरे घर में कोहराम मच गया। गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे सुरेंद्र सिंह की बॉडी पैतृक गांव काठ का माजरा पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। परिवार के सदस्यों और ग्रामीणों द्वारा अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही है।
बता दें, घटना के समय ड्यूटी पर पर थे। रॉन्ग साइड से एक टैक्सी नंबर की कार आई, उसी समय वहां से सीएम का काफिला निकल रहा था। वहां तैनात ASI सुरेंद्र सिंह ने टैक्सी को रोकने की कोशिश की तो ड्राइवर ने टक्कर मार दी। हादसे में पांच पुलिसकर्मी बलवान सिंह, देवेंद्र सिंह, एसीपी अमीर हसन, राजेंद्र और सुरेंद्र सिंह घायल हो गए। उनको जीवन रेखा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान सुरेंद्र सिंह ने दम तोड़ दिया।
चाचा रोने लगे से घर में मचा कोहराम
एएसआई सुरेंद्र सिंह की मां किताब देवी (82) गुरुवार दोपहर 11.30 बजे तक बेटे की मौत से बेखबर थी। सदमे के डर से परिजनों ने घटना की जानकारी नहीं थी। मां को केवल यह बताया गया है कि सुरेंद्र की तबीयत खराब है।सुरेंद्र सिंह के चाचा नाहर सिंह चौधरी (राजस्थान पुलिस में एएसआई पद से रिटायर्ड) और उनके बेटे के अलावा केवल पड़ोसियों को पता था कि कि सुरेंद्र सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे।
दोपहर 11.30 बजे बाद सुरेंद्र की बहनें भी घर पहुंच चुकी थी। इस दौरान जयपुर से बॉडी रवाना होने की सूचना पर चाचा नाहर सिंह खुद को रोक नहीं सके और जोर-जोर से रोने लगे। इस घर में कोहराम मच गया। बहनों और मां के साथ परिवार के लोगों को रो-रोकर बुरा हाल है।
हर महीने मां से मिलने आते थे सुरेंद्र सिंह
एएसआई सुरेंद्र सिंह चौधरी जयपुर से हर 15 दिन या 1 महीने में अपनी मां और पिता से मिलने के लिए आते थे। भले ही वे शाम को आते और देर रात को वापस लौट जाते। पड़ोसी कर्मवीर चौधरी की मां का हाल ही में देहांत हो गया था। सुरेंद्र सिंह अपनी पत्नी के साथ 27 और 28 नवंबर को ही शोक जताने के लिए गांव आए थे।
सुरेंद्र सिंह चौधरी की पढ़ाई बाहर ही हुई
एएसआई सुरेंद्र सिंह के बचपन को याद करते हुए कर्मवीर चौधरी ने बताया कि सुरेंद्र सिंह अक्सर अपने पिता के साथ रहते थे। उनकी पढ़ाई भी गांव से बाहर हुई थी, लेकिन उन्होंने कभी परिवार और गांव से अपना लगाव नहीं छोड़ा। हालांकि सुरेंद्र सिंह उनसे उम्र में बड़े थे, लेकिन जब भी गांव आते थे, हमेशा साथ खेलते थे। हंसमुख और शांत स्वभाव के सुरेंद्र सिंह को गाड़ियों का बहुत शौक था। परिवार में किसी भी चीज की कमी नहीं थी।
अगले साल SI के पद पर प्रमोट होने वाले थे
एएसआई सुरेंद्र सिंह की तीन बड़ी बहनें हैं और वे सबसे छोटे बेटे और इकलौते भाई थे। गांव के बाहर खेतों में उनके माता-पिता का मकान बना हुआ है। सुरेंद्र सिंह खुद जयपुर के वैशाली नगर में अपने मकान में रहते थे। 1992 में राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। साल 2013-14 में प्रमोशन होने के बाद ASI बने थे। साल 2025 में SI के पद के लिए प्रमोट होने वाले थे। उनकी पत्नी सविता (51) स्कूल में पढ़ाती है। सुरेंद्र सिंह के एक बेटा आकाश (28) और एक बेटी कोमल (23) है। बेटी यूपीएससी की तैयारी कर रही है। सुरेंद्र सिंह के पिता रोहिताश सिंह चौधरी (84) इंडियन आर्मी से रिटायर हैं।
घर के बाहर रिश्तेदारों को रोका गया
परिवार के लोगों ने रिश्तेदारों को घर के बाहर ही रोक दिया है, ताकि मां को बेटे की मौत की खबर न लगे। उन्हें डर है कि यदि मां को बेटे की मौत का पता चला तो सदमे में उनकी भी जान जा सकती है। गांव के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार की तैयारी पूरी कर ली गई है।