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खेतड़ी विरासत दिवस पर विशेष : 127 साल पहले खेतड़ी में पढ़ा गया पहला अभिनन्दन पत्र, विवेकानंद का खेतड़ी के पन्नासर तालाब पर किया गया भव्य स्वागत


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खेतड़ी विरासत दिवस पर विशेष : 127 साल पहले खेतड़ी में पढ़ा गया पहला अभिनन्दन पत्र, विवेकानंद का खेतड़ी के पन्नासर तालाब पर किया गया भव्य स्वागत

खेतड़ी विरासत दिवस पर विशेष : 127 साल पहले खेतड़ी में पढ़ा गया पहला अभिनन्दन पत्र, विवेकानंद का खेतड़ी के पन्नासर तालाब पर किया गया भव्य स्वागत

खेतड़ी : आज से ठीक 127 साल पहले शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन से लौटकर खेतड़ी आने पर स्वामी विवेकानंद का भव्य स्वागत किया गया था। पूरे खेतड़ी में चालीस मण देसी घी के दीपक प्रज्जवलित किए गए थे। स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी करने वाले डॉ. जुल्फिकार के अनुसार 12 दिसम्बर,1897 को स्वामी विवेकानंद खेतड़ी आए तो तत्कालीन राजा अजीत सिंह अपने सभासदों और खेतड़ी की जनता की ओर से उनका पन्नासर तालाब पर भव्य स्वागत किया गया। विवेकानंद खेतड़ी को अपना दूसरा घर कहते थे। उनके सम्मान में अभिनन्दन पत्र पढ़ा गया था।

विवेकानंद -आज हम खेतड़ी के लोग बहुत खुश है, हम लोग बहुत दिनों से यह आशा लगाए हुए थे कि कब वह दिन आए, जब स्वामीजी महाराज के फिर खेतड़ी में दर्शन होंगे, धन्य हैं परमेश्वर कि आज मुद्दत से चाहा हुआ वह दिन आ पहुंचा है। हम लोग अपने इस सौभाग्य पर फूले नहीं समाते हैं। हम जानते हैं कि दूर – दूर के मुल्कों में हिन्दू धर्म की जय – पताका आज तक वैसी किसी से नहीं फहराई और वेदान्त के प्राचीन सिद्धांतों को वैसा नहीं प्रचारित किया, जैसा कि आपने स्वयं ही तकलीफ उठाकर दूर – दूर के मुल्कों में जाकर किया है। आपकी कभी यह मंशा न थी कि हिन्दू, मुसलमान, ईसाई आदि किसी का भी धर्म – ईमान बिगड़े या बदले, बल्कि आपका तो उपदेश है कि इन सभी सम्प्रदायों के एकमात्र लक्ष्य परमेश्वर हैं, जिनका परमेश्वर, खुदा या अन्य कोई भी नाम लिया जाए। इस बात को लेकर किसी को झगड़ना नहीं चाहिए। दूसरे के मजहब या फिरके सम्प्रदाय की बुराई करने में अपना बड़प्पन बिल्कुल नहीं समझना चाहिए। इन सब मजहबों – रुपी मोतियों की माला में पिरोई हुई एक मजबूत डोरी है, जिसको परमेश्वर कहना चाहिए, उस पर सबको एकदिल होकर विश्ववास करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति इस सत्य को पहचाने, जो इस सृष्टि की संरचना में शामिल हैं। आपका यह उपदेश इस युग के लिए बिल्कुल उपयुक्त है, और उसमें आपके परमपूज्य गुरु महाराज रामकृष्ण परमहंस के सिद्धांत का असली अंकुर भी शामिल हैं। अमेरिका तथा यूरोप वाले इन दोनों मामलों में इस हिन्दुस्तान को बहुत गिरा समझते थे। यह धुॅधलापन आपकी कोशिश से दूर हुआ है और उन देशों के हजारों सुयोग्य लोग भारतवर्ष को इस मामले में सबसे ज्यादा तरक्की किया हुआ मानने लगे हैं।

आज का जलसा हम लोगों ने इस बात के विषय में सम्मान दिखलाने के लिए किया है। प्रार्थियों को उम्मीद है कि आप कृपा करके कबूल फरमाएंगे। परमेश्वर आपको सब तरह से आनन्द में रखें।

नौ दिन रहे खेतड़ी प्रवास पर
आज से 127 साल पहले स्वामी विवेकानंद अमेरिका से खेतड़ी लौटने पर 9 दिन तक खेतड़ी – प्रवास पर रहें। जिसमें उनका अभिनन्दन, शिक्षा व वेद पर व्याख्यान तथा शास्त्र – अध्ययन जैसे कार्यक्रम शामिल रहें।

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