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श्मशान में चिता पर लेटा व्यक्ति हुआ जिंदा:4 घंटे पहले मृत किया था घोषित, 2 घंटे डी फ्रिज में रखा; कलेक्टर ने जांच कमेटी बनाई


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श्मशान में चिता पर लेटा व्यक्ति हुआ जिंदा:4 घंटे पहले मृत किया था घोषित, 2 घंटे डी फ्रिज में रखा; कलेक्टर ने जांच कमेटी बनाई

डॉक्टरों ने जिंदा युवक को मृत बताया, 2 घंटे मुर्दाघर में रखा बिना पोस्टमार्टम किए रिपोर्ट दे दी, PMO समेत 3 निलंबित

झुंझुनूं : झुंझुनूं में श्मशान घाट में चिता पर लेटा व्यक्ति जिंदा हो गया। उसका शरीर हिलने लगा और सांसें चलने लगी। इस पर तुरंत एंबुलेंस बुलाकर उसे जिला अस्पताल पहुंचाया गया। आईसीयू वार्ड में उसका इलाज चल रहा है। अभी हालत स्थिर है।

रोहिताश का बीडीके अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है। उसकी हालत सामान्य है। - Dainik Bhaskar
रोहिताश का बीडीके अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है। उसकी हालत सामान्य है।

झुंझुनूं में श्मशान घाट में चिता पर लेटा व्यक्ति जिंदा हो गया। उसका शरीर हिलने लगा और सांसें चलने लगी। इस पर तुरंत एंबुलेंस बुलाकर उसे जिला अस्पताल पहुंचाया गया। आईसीयू वार्ड में उसका इलाज चल रहा है। अभी हालत स्थिर है।

इस व्यक्ति को 4 घंटे पहले जिला अस्पताल में ही डॉक्टर ने मृत घोषित किया था। इसके बाद उसकी बॉडी को मॉर्च्युरी भिजवा दिया गया, जहां डी फ्रिज में 2 घंटे तक रखी गई। इसके बाद पुलिस को बुलाकर पंचनामा बनाया गया और शव को एंबुलेंस की मदद से श्मशान घाट ले जाया गया था।

रोहिताश को दोपहर 1 बजे बीडीके अस्पताल में ही मृत घोषित किया गया था। उसकी बॉडी 2 घंटे तक डी फ्रिज में रखी रही।
रोहिताश को दोपहर 1 बजे बीडीके अस्पताल में ही मृत घोषित किया गया था। उसकी बॉडी 2 घंटे तक डी फ्रिज में रखी रही।

तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में कराया था भर्ती

जानकारी के अनुसार, झुंझुनूं जिले में मां सेवा संस्थान के बगड़ स्थित आश्रय गृह में रहने वाले रोहिताश (25) की गुरुवार दोपहर को तबीयत बिगड़ गई थी। रोहिताश अनाथ हैं और मूकबधीर है। ऐसे में वो पिछले काफी समय से यहीं पर रह रहा है। रोहिताश को तबीयत बिगड़ने पर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान दोपहर 1 बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

एनजीओ ने पोस्टमार्टम की खानापूर्ति और अंत्येष्टि करने की जल्दबाजी क्यों की?

बगड़ इलाके के आदर्श नगर के विमंदित पुनर्वास गृह का संचालन करने वाले एनजीओ मां सेवा संस्थान के सचिव बनवारीलाल की जल्दबाजी सवालों के घेरे में है। उन्होंने डॉक्टर पर दबाव देकर बिना पोस्टमार्टम कराए ही पोस्टमार्टम की कागजों में खानापूर्ति क्यों करवाई? साथ ही मृत मानकर उसे बगड़ ले जाने की बजाय झुंझुनूं के ही श्मशान में अंतिम संस्कार करने की जल्दबाजी क्यों की? इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि डॉक्टर के मृत घोषित करते ही पोस्टमार्टम की खानापूर्ति क्यों की? यह श्मशान घाट बीडीके अस्पताल से महज दो किमी की दूरी पर है। जबकि आदर्श नगर बगड़ की दूरी करीब 10 किमी है। विमंदित के परिजनों का पता करने की जहमत भी नहीं उठाई गई। मामले में एनजीओ से जुड़ी डॉ. इंदु ने कहा कि युवक की तबीयत बिगड़ी तब बीडीके लेकर गए थे। वहां किसकी लापरवाही रही, यह अभी कह नहीं सकते ।

डॉक्टर के मृत घोषित करने पर रोहिताश की बॉडी को अस्पताल की मॉर्च्युरी में भिजवा दिया गया। यहां करीब 2 घंटे तक उसकी बॉडी डी फ्रिज में रखी रही। पुलिस के आने पर पंचनामा बनाया गया और शव मां सेवा संस्थान के पदाधिकारियों को सौंप दिया गया। पदाधिकारियों ने शाम करीब 5 बजे शव को एंबुलेंस में रखवाया और झुंझुनूं में ही पंच देव मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट ले गए। यहां रोहिताश की बॉडी को चिता पर रखा तो उसकी सांस चलने लगी और शरीर हिलने लगा। यह देखकर वहां मौजूद सभी लोग डर गए। इसके बाद तुरंत एंबुलेंस बुलाकर रोहिताश को अस्पताल ले गए। फिलहाल उसका आईसीयू में इलाज चल रहा है और हालत सामान्य हैं।

प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे अस्पताल

उधर, कलेक्टर के आदेश पर तहसीलदार महेंद्र मूंड, सामाजिक अधिकारिता विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पवन पूनिया भी अस्पताल पहुंचे। मामले की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल में पीएमओ डॉ. संदीप पचार की मौजूदगी में करीब 1.30 घंटे तक डॉक्टरों की बैठक हुई।

कलेक्टर ने रात करीब 10.30 बजे पीएमओ डॉक्टर संदीप पचार, सामाजिक अधिकारिता विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पवन पूनिया सहित अन्य अधिकारियों को अपने बंगले पर बुलाया और मामले की जानकारी ली।

लापरवाही बरतने वाले तीन जिम्मेदार, तीनों निलंबित

मंड्रेला सीएचसी में कार्यरत डॉ. योगेश जाखड़ करीब नौ महीने से बीडीके अस्पताल में प्रतिनियुक्ति पर हैं। वे इमरजेंसी यूनिट में दिन में ड्यूटी करते हैं। विमंदित रोहिताश की सबसे पहले उन्होंने ही जांच की थी। उन्होंने उसकी जांच करते हुए उसे मृत घोषित कर दिया। – डॉ. योगेश जाखड़

डॉ. नवनीत मील

बीडीके अस्पताल के डॉ. नवनीत मील ने ही जिंदा मरीज के पोस्टमार्टम की खानापूर्ति पूरी की। इसमें सामने आया कि बगड़ पुलिस की तहरीर पर डॉ. मील ने पोस्टमार्टम किया और उसके बाद समिति के सदस्यों को मृत बताकर सुपुर्द किया गया। – डॉ. नवनीत मील

पूरे प्रकरण में मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी पीएमओ डॉ. संदीप पचार की थी। मृत घोषित युवक के जिंदा होने पर वापस बीडीके में लाने के बाद भी उच्चाधिकारियों को सूचना नहीं दी। पूरे प्रकरण पर पर्दा डालते नजर आए। – डॉ. संदीप पचार, पीएमओ

मामले की जांच के लिए कमेटी गठित

जिला कलेक्टर रामअवतार मीणा ने बताया- पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। पीएमओ से रिपोर्ट मांगी गई है। पूरे मामले से मेडिकल डिपार्टमेंट के सचिव को जानकारी दे दी गई है।

बगड़ थानाधिकारी हेमराज मीणा ने बताया- मामले की जांच कर रहे हैं। अभी कुछ नहीं कहा जा सकता

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