जयपुर हेरिटेज की मेयर मुनेश को सरकार ने सस्पेंड किया:रिश्वतकांड में सामने आई थी भूमिका, 13 महीने में तीसरी बार निलंबित हुईं
जयपुर हेरिटेज की मेयर मुनेश को सरकार ने सस्पेंड किया:रिश्वतकांड में सामने आई थी भूमिका, 13 महीने में तीसरी बार निलंबित हुईं

जयपुर : जयपुर हेरिटेज नगर निगम की मेयर को सरकार ने सस्पेंड कर दिया गया। उन्होंने सरकार के नोटिस का समय पर (21 सितंबर तक) जवाब पेश नहीं किया था। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने इस पर कानूनी विशेषज्ञों से राय ली थी। इसके बाद सस्पेंशन का आदेश जारी कर दिया गया है। सरकार जल्द ही कार्यवाहक मेयर के आदेश भी जारी कर सकती है।
बता दें कि सरकार ने सबसे पहले 11 सितंबर को मेयर को नोटिस जारी किया था, तब ये नोटिस जांच अधिकारी की तरफ से जारी किया गया था। इसका तीन दिन बाद मेयर ने अपने एडवोकेट के जरिए जवाब भिजवाया था। इसके बाद स्वायत्त शासन विभाग ने 18 सितंबर को दूसरा नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा था, लेकिन 21 सितंबर को रात 11 बजे तक कोई जवाब नहीं दिया गया।
तीसरी बार हुआ सस्पेंशन 13 महीने में ये तीसरा मौका है, जब मुनेश गुर्जर को सस्पेंड किया गया है। इससे पहले गहलोत सरकार ने मुनेश गुर्जर को 5 अगस्त 2023 और फिर 26 सितंबर 2023 को सस्पेंड किया था। हालांकि दोनों बार मेयर ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां से उनको राहत मिली और वे वापस मेयर की कुर्सी पर बैठीं।
मुनेश गुर्जर की याचिका पर कोर्ट में 2 सप्ताह बाद सुनवाई होगी
वहीं, रिश्वत लेने के मामले में हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर पर एसीबी में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की याचिका पर 2 सप्ताह बाद सुनवाई होगी। मुनेश की तरफ से 21 सितंबर को कोर्ट में बहस के लिए समय मांगा गया था।
मुनेश के वकील दीपक चौहान ने हाईकोर्ट में कहा था- मामले में एसीबी ने चालान पेश कर दिया है। हमने इससे संबंधित दस्तावेज हाईकोर्ट में पेश किए हैं। ऐसे में हमें बहस के लिए समय दिया जाए। इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। बता दें कि एसीबी ने 19 सितंबर को मुनेश गुर्जर के खिलाफ चालान पेश किया था।
एसीबी कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती
एसीबी कोर्ट की ओर से मुनेश गुर्जर को अदालत में उपस्थित होने के लिए 16 दिन का समय देने के मामले में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। शिकायतकर्ता के वकील पीसी भंडारी ने हाईकोर्ट में दायर कर कहा कि एसीबी ने मुनेश गुर्जर के खिलाफ 19 सितंबर को चार्जशीट पेश की थी। उस समय मुनेश गुर्जर कोर्ट में उपस्थित नहीं हुई और अपने वकील के जरिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करके कहा था कि वह बीमार है और डॉक्टर ने उसे 7 दिन का बेड रेस्ट करने की सलाह दी है।
इस पर एसीबी कोर्ट ने उनके प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए 5 अक्टूबर को पेश होने की अनुमति दे दी थी। अब शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट से एसीबी कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा कि एसीबी कोर्ट ने कानून के विरुद्ध आदेश दिया है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि अभियुक्त को प्रसंज्ञान लेने से पूर्व न्यायालय में उपस्थित होने से छूट दी जाए, न्यायालय ने गलती की है और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध उदार रुख अपनाया है। जिससे आम जनता में गलत मैसेज जा रहा है।