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जानलेवा है प्रदूषण, अधिकारियों की मिली भगत एवं नाकामी का परिणाम : के के गुप्ता


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जानलेवा है प्रदूषण, अधिकारियों की मिली भगत एवं नाकामी का परिणाम : के के गुप्ता

जानलेवा है प्रदूषण, अधिकारियों की मिली भगत एवं नाकामी का परिणाम : के के गुप्ता

नई दिल्ली/जयपुर/उदयपुर : प्रदूषण का असर केवल स्वास्थ्य पर ही नहीं पड़ता बल्कि यह देश के विकसित भारत, सुदृढ़ भारत , अच्छी अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है पिछले वर्षों की तुलना में प्रदूषण तीव्र गति से नियमित बढ़ता जा रहा है जिम्मेदार अधिकारी इसमें घोर लापरवाही बरत रहे हैं जिसका हर्जाना आमजन व गरीब जोगी झोपड़ी में रहने वाले लोगों को सीधा-सीधा प्रभावित कर रहा है आज दिल्ली शहर के अलावा भी बहुत से शहर भी धीरे धीरे प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं अधिकारी मस्त है जनता त्रस्त है।

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण राजस्थान सरकार के स्टेट कोऑर्डिनेटर और स्वच्छ भारत मिशन प्रदेश भाजपा संयोजक केके गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि देश की वायु में प्रदूषण से जहर घुल रहा है निरंतर बढ़ते प्रदूषण से यह खतरा हर वर्ष गति से बढ़ रहा है प्रतिवर्ष प्रदूषण से करीब 17 लाख लोगों की मृत्यु हो रही है हवा में प्रदूषण की मात्रा का आंकलन ” द लैसेट काउंटडाऊन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज 2025 ” इसमें बढ़ती आबादी तथा बढ़ता प्रदूषण की समस्या गंभीर तथा चिंता जनक है इसके लिए शीघ्र ही उचित कदम शक्ति से उठाने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि बढ़ते औद्योगिक, धुंआ छोड़ते टेंपो एवं परिवहन के साधन, घरेलू इंधन, कचरा यार्डों का जहरीला धुआं यह सारे धुआं वातावरण में जानलेवा साबित हो रहे हैं इनके प्रभाव आंख, नाक नाक, गले में जलन, स्किन बीमारियां, खांसी, दमा, बुखार जैसी बीमारियों से फेफड़े, हृदय तक बंद हो जाते हैं।

प्रदूषण से होने वाला धूआ मानव के लिए जहर का काम कर रहा

वायु में यह धुआं मनुष्य के लिए जहर का काम कर रहा है आज सरकार कोयला, पेट्रोल डीजल उपभोग को निरंतर कम करने का प्रयास कर रही है इलेक्ट्रिक गाड़ियां तथा इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल, स्कूटर बाजार में प्रदूषण मुक्त में सहायक सिद्ध हुई है वहीं सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत सोलर प्लांट हर घर एवं उद्योगों में लगाने को लेकर निरंतर प्रोत्साहन का कार्य भी कर रही है जिसमें बिजली बनाने से फैल रहे प्रदूषण को रोका जा सके वहीं सरकार एवं उद्योगपतियों द्वारा क्रेडिट कार्बन दिए जा रहे हैं परंतु यह सत्य है कि प्रदूषण धनवान एवं सक्षम व्यक्तियों द्वारा ही फैलाया जा रहा है तथा जिसका हर्जाना ज्यादातर गरीब मजदूर, जुगी झोपड़ियां में रहने वाले बच्चे एवं बुजुर्ग अपनी मौत से चूका रहे हैं।

अधिकारियों द्वारा धरातल पर लापरवाही रखी जा रही

आज प्रदूषण को लेकर सरकारें बहुत गंभीर एवं सख्त है परंतु धरातल पर अधिकारियों द्वारा लापरवाही एवं मिली भगत के चलते प्रदूषण की समस्या गंभीर बनती जा रही है हर बड़े एवं छोटे व्यक्ति को पर्यावरण के महत्व को समझना होगा शुद्ध हवा का अधिकार हर व्यक्ति का है परंतु धीरे-धीरे यह छिनता जा रहा है सरकार द्वारा प्रदूषण को लेकर केंद्र एवं राज्य स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना भी की गई है परंतु संसाधनों एवं पर्याप्त स्टाफ के अभाव में नियंत्रण तंत्र भी कमजोर पड़ रहा है तथा प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा का कार्य भी सरकार के लिए विकास से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है अगर इंसान जीवित ही नहीं रहेगा तो विकास का क्या महत्व होगा।

उदयपुर के बलीचा में कचरा यार्ड प्रदूषण का अड्डा बन चुका

आज हम देख रहे हैं उदयपुर का बलीचा कचरा यार्ड प्रदूषण का अड्डा बन गया है जहां सरे आम न केवल स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ाई जा रही है अभी तो कचरा यार्ड के पास रह रहे 5000 लोग एवं भारतीय प्रबंध संस्थान, उदयपुर (आईआईएम) भी प्रदूषण का शिकार बन रहा है जहां 68 परिवार 800 छात्र छात्राएं इस प्रदूषण का शिकार बन रहे हैं अधिकतर लोगों के स्किन बीमारी गले,आंख, नाक में जलन खांसी, दमा, बुखार जैसी जानलेवा बीमारियों से पीड़ित है वहीं दूसरी तरफ अधिकारी झूठे शपथ पत्रों के माध्यम से माननीय न्यायालय को एवं आमजन को खुल्ला धोखा दे रहे हैं तथा झूठी जानकारी देखकर अपने आप को इससे बचा रहे हैं आज भी वहां सैकड़ो जानवर प्लास्टिक एवं गंदगी को खा रहेहैं तथा मर रहे हैं। कचरा यार्ड में फैली गंदगी की सड़ांध इतनी भयानक है कि वहां जाना भी दुर्बल हो रहा है दूसरी तरफ अधिकारी शपथ पत्र में बता रहे हैं कि गीले कचरे से बायोगैस प्लांट से गैस तथा उसकी स्लेरी से खाद बना रहे हैं तथा सूखे कचरे से निकलने वाला ज्वलंतशील कचरे का एवं अन्य धातुओ का निस्तारण किया जा रहा है तथा कचरे यार्ड में सैकड़ो गाये एवं अन्य जानवर जो प्लास्टिक थैलियाँ व गंदगी खा रहे है जिम्मेवार अधिकारी द्वारा अब तक क्या क्या कार्य किया जाँच का विषय है जबकि वास्तविकता में यह सब केवल कागजों तक ही सीमित है। एक भारी राशि का समायोजन किया जा रहा है जिसकी जांच एवं कार्रवाई आवश्यक है।

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