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सत्ता पाने की होड़ में लोकसभा चुनाव के बदलते ढंग  ! – डा. भरत मिश्र प्राची


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आर्टिकलराज्य

सत्ता पाने की होड़ में लोकसभा चुनाव के बदलते ढंग  ! – डा. भरत मिश्र प्राची

सत्ता पाने की होड़ में लोकसभा चुनाव के बदलते ढंग  ! - डा. भरत मिश्र प्राची

                   डा. भरत मिश्र प्राची

सत्ता पाने की होड़ में लोकसभा चुनाव के बदलते ढंग : अलग ढंग से इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव में सत्ता के लिये चुनावी दौर में अनेक रंग उड़ते दिखाई दे रहे है। जो लोकतंत्र को बदरंग न कर दे। चुनाव में राजनीतिक दलों के बीच  प्रहार होते तो देखा जा सकता पर सत्ता पाने की राजनीति का स्तर इस तरह गिरता जा रहा है जहां लोकतंत्र के वास्तविक स्वरूप के अस्तित्व बदलने की स्थितियां नजर आने लगी है। इस बार चुनाव में धर्म, आतंकवाद, देशद्रोह, जैसी बात ज्यादा जोर पकड़ती नजर आने लगी है। विपक्ष को कमजोर करने की दिशा में सत्ता प्रभावी दिखाई दे रही है। इस चुनाव में धार्मिक उन्माद कुछ ज्यादा ही जोर पकड़ता नजर आ रहा है। चुनाव से पूर्व राम मंदिर का मुद्दा जिसके उद्धाटन के बीच राजनीति समा गई। राम सभी के है पर चुनावी समीकरण ने राम को भी बांट दिया। देश के सर्वश्रेष्ट धर्माचार्य चारों शंकराचार्यो ने राम मंदिर उद्घाटन के समय को उचित समय नहीं बताते हुये अपना विरोध जताया पर चुनावी राजनीति के आगे उनका सुझाव अमान्य रहा। विपक्ष राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल नहीं हुआ। देश में हिन्दू – मुस्लिम अंतराल भी राजनीति में नजर आने लगा।

इस बार के चुनाव में सत्ता विपक्ष दोनों हीं सत्ता पाने की दिशा में एक दूसरे पर प्रहार करते नजर आ रहे है। चुनाव के दौरान जांच एजेंसियों की सक्रियता भी देखी जा सकती । भ्रष्टाचार के मामले में जेल में डालने, राजनीति चाल में फंसाकर बदनाम करने की प्रक्रिया, अपने को सही दूारे को गलत बताकर असली मुछ्दों से आम जन को भटकाने की भरपूर कोशिश सत्ता के परिणाम को कौन सा रंग दे पायेगी, आने वाला चुनाव परिणाम ही बता पायेगा। स्वाति महीवाल एवं कन्हैया की राजनीतिक घटना दिल्ली चुनाव को कौन सा मोड़ दे पायेगी, जहां छठे चरण में चुनाव होने है।

देश में पांच चरण के चुनाव हो चुके, दो चरणों के चुनाव होने है। चुनाव पर अलग अलग प्रतिक्रिषा आनी शुरू हो गई है। सत्ता पक्ष अपनी वास्तविक स्थिति से भलीभॅाति परिचित है। सत्ता जाने का डर मन में समाया हुआ है पर चार सौ पार का राग उसी तरह अलाप रहा है जैसे हर प्रत्याशी अपनी हार जानते हुये भी जीत की बात करता नजर आता है। इस  बार लोकसभा के चुनावी चरण पूर्व लोकसभा चुनावों से अलग हटकर है जहां कई राज्यों में जहां चुनाव एक दो चरणों में हुआ करते वहां कई चरण में कराये जा रहे, है।

इस बार के लोकसभा चुनाव में पूर्व की तरह सत्ता पक्ष को जनादेश मिलने के कम आसार बन रहे है। राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब में सत्ता पक्ष को पूर्व की तरह सीट आने के आसार कम नजर आ रह है। चुनाव के दौरान पहले से गिरता मतदान प्रतिशत भी सत्ता पक्ष के सत्ता पाने के आकड़े को कम करता नजर आ रहा है। सत्ता पाने की होड़ ने आज लोकसभा चुनाव के ढंग को ही बदल रहा है जो लोकतंत्र हित में कदापि नहीं।

-स्वतंत्र पत्रकार – डा. भरत मिश्र प्राची

 

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