संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शहीद ए आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहीदी दिवस 23 मार्च को ” लोकतंत्र बचाओ दिवस” के रूप में आज भगतसिंह पार्क, इन्दिरा नगर झुंझुनूं में मनाया गया

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका
झुंझुनूं : सर्वप्रथम शहीद ए आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की मूर्ति पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की गई और इंकलाब जिंदाबाद, साम्प्रदायिक फासीवाद मुर्दाबाद, किसान मजदूर एकता जिंदाबाद, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, क्रान्तिकारी अवतार सिंह पाश एवं क्रान्तिकारी किसान आंदोलन के नेता व भाकपा-माले के पूर्व महासचिव कानू सान्याल अमर रहे, समाजवाद जिन्दाबाद, के नारे लगाए गए। इसके बाद श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि हमारे देश को ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद करवाने में जो अनगिनत कुर्बानियां दी गई उनमें अमर शहीद भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को घर घर में जाना जाता है। ये तीनों शहीदों से आज भी हमें इंकलाब की प्रेरणा मिलती है। 93 वर्ष पूर्व 23 मार्च 1931को उन्हें अंग्रेजों ने फांसी दी थी। उन्हें याद करते हुए हम कभी नहीं भूलते कि उनका लक्ष्य पूंजीपति राज की बजाय कमेरे वर्गों का राज स्थापित करने वाली क्रान्ति लाना था। एक ऐसी व्यवस्था जहां आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, भाषा, जाति, लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार के शोषण व भेदभाव की अनुमति नहीं हो।
ऐसे महान शहीदों और किसान मजदूरों के कठीन संघर्षों से हमें जो आजादी और लोकतांत्रिक अधिकार और मूल्य बोध प्राप्त हुए, गत 75 सालों में उन्हें नष्ट किया जा रहा है। पिछले 10 सालों में तो कारपोरेट पूंजीपतियों के साथ भाजपा शासन अपराध तन्त्र और साम्प्रदायिकता के भ्रष्ट गठजोड़ के रूप में देश को बर्बादी के कगार पर ले आया है। आर्थिक गैर बराबरी का आलम यह है कि किसान मजदूर कर्ज में डूबकर आत्महत्या कर रहे हैं। करोड़ों युवा रोजगार के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। दूसरी तरफ मुट्ठी भर बड़े पूंजीपतियों को राष्ट्रीय सम्पत्तियो के बड़े हिस्से पर कब्जा करने की छूट दे दी गई है। बदले में वे भाजपा को चुनावी बौड के बहाने जिस तरह चोर दरवाजे से अरबों रुपए देते रहे हैं, उसका भंडाफोड़ हो चुका है। कृषि क्षेत्र को भी कारपोरेट के हाथों में सौंपने के षडयंत्र हो रहें हैं जिसके खिलाफ देश का संयुक्त किसान मोर्चा शक्तिशाली आन्दोलन कर रहा है।
लोकतांत्रिक अधिकारों, धर्मनिरपेक्ष सोच और जन आंदोलन की एकता को खत्म करके देश में तानाशाही शासन थोपा जा रहा है। जनता के बीच साम्प्रदायिक और जात-पात की नफरत फैलाकर भाजपा शासन अंग्रजों की तरह “फूट डालो और राज करो”की नीति पर चल रहा है। क्या भगतसिंह और हमारे सभी शहीदों ने इसीलिए अपने जीवन की कुर्बानियां दी थी ? आज हम सभी का कर्तव्य बनता है कि देश में संवैधानिक व लोकतांत्रिक अधिकारों और रोजी रोटी पर जो हमले हो रहे हैं, उन्हें विफल करने के लिए भाजपा को गांव मोहल्लों से अलग थलग करके किसानों मजदूरों, कर्मचारियों, छात्र युवाओं, महिलाओं के साथ विश्वासघात करने का सबक सिखाये जाने और लोकतंत्र बचाने का संकल्प लें, यही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
श्रद्धांजलि सभा को क्रान्तिकारी किसान यूनियन के संयोजक पोकरसिह झाझडिया, शहीद भगतसिंह विचार मंच के संयोजक बजरंग लाल एडवोकेट, क्रान्तिकारी किसान यूनियन के चौधरी महताब सिंह, शीशराम खिचड, रामनिवास बेनिवाल, जगमाल सिंह, मुकेश सिहाग, बालाराम मेघवाल, शुभकरण लाम्बा, फूलचंद बुडानिया, युनूस अली भाटी, रामनिवास बेनिवाल, सहदेव कस्वा, अशोक मांजू, त्रिलोक सिंह, पितराम कालेर, रामेश्वर बास नानग ने सम्बोधित किया। इसके अलावा धर्मपाल सिंह डारा, उम्मेदसिंह कृष्णिया, सज्जन कुमार,लक्ष्मीनारायण, शिशुपाल खिचड, रमेश कटेवा, रामप्रताप रेपसवाल, धर्मपाल खेदड़, लीलाधर डिगरवाल, घासी राम सोऊ,ओमप्रकाश, श्यामलाल कालेर, किशनलाल नायक, माणिक चन्द्र सोहू, रामजीलाल झाझडिया, बलबीर कुलहरी, रामनारायण झाझडिया, दयानंद जानूं, कै मोहरसिंह, प्रहलाद कुलहरी, रामविलास, बीरबल सिंह खरबास, रणधीर झाझडिया, बचनसिंह मीणा, अजीज अहमद, अकार खरींटा, सरदार सिंह, मनीराम पुनिया, के अलावा नितेश, समीर, सुमित कुमार, अमनदीप,रूपेश कुमार नौजवान उपस्थित थे। संचालन शहीद भगतसिंह विचार मंच के संयोजक बजरंग लाल एडवोकेट ने किया।