झुंझुनूं-इस्लामपुर : नबी की मोहब्बत ईमान की बुनियाद है: मौलाना वसीम अख्तर रजवी कामयाबी चाहते हो तो नबी के किरदार को अपनी जिंदगी में अपनाओ।
झुंझुनूं-इस्लामपुर : नबी की मोहब्बत ईमान की बुनियाद है: मौलाना वसीम अख्तर रजवी कामयाबी चाहते हो तो नबी के किरदार को अपनी जिंदगी में अपनाओ।

झुंझुनूं (इस्लामपुर) : ईद मिलादुन्नबी के मौके पर शनिवार को मदरसा फैजाने रजा इस्लामपुर में ईशा की नमाज के बाद एक रोजा अजीमुश्शान इजलास मुनक्किद किया गया। इजलास के मेहमाने खुशुसी मौलाना वसीम अख्तर रजवी थे। वहीं चूरू से मुफ्ती मंजर इमाम व मौलाना अनीश रजा तशरीफ लाए। इजलास का आगाज कारी मुनीर आलम ने तिलावते कुरआन से किया। इसके बाद मदरसा फैजाने रजा के तलबाओं की ओर से नबी की शान में एक से बढ़कर एक बेहतरीन नात शरीफ पेश की गई। कमेटी के लोगों की ओर से मेहमानों का फूल माला पहनाकर इस्तकबाल किया गया। मौलाना वसीम अख्तर रजवी जैतारण(पाली) ने अपनी तकरीर में कहा कि हुजूर की महोब्बत ईमान की बुनियाद है। नबी का चेहरा खुले कुरआन की तरह था। अल्लाह ने तमाम अंबिया को जो कमालात और अजमते दी वो तमाम खूबियां अल्लाह ने अपने नबी को अता फरमा दी। नबी से मोहब्बत नहीं तो रब की बारगाह में कोई भी सजदा काबिले कुबूल नहीं। नबी की ताजीम ईमान का हिस्सा है। रजवी ने अकीदतमंदों से नमाज की पाबंदी और अपने ईमान की हिफाजत करने की बात कही। “ना बन सकी है ना बन सकेगा मिसाल तेरी, जवाब तेरा” नात पर अकीदतमंद देर रात तक सुब्हान अल्लाह-सुब्हान अल्लाह कहते रहे।
चूरू से तशरीफ लाए मुफ्ती मंजर इमाम ने अपने बयान में बताया कि नबी अल्लाह का सबसे बड़ा फजल है। नबी ना होते तो कायनात का वजूद भी ना होता। असल में मिलाद मनाना नबी व सहाबा की सुन्नत है। इमाम ने कहा कि हुजूर की आमद ओर अल्लाह की रहमत पर खुशियां मनाओ। भूखों को खाना खिलाना, नंगों को कपड़े पहनाना और प्यासे को पानी पिलाना मोमिन की पहचान है। कामयाबी चाहते हो तो नबी के कीरदार को अपनी जिंदगी में अपनाओ। इस्लाम गरीब व मजलूम को गले लगाने और प्यासे को पानी व भूखे को खाना खिलाने की तालीम देता है। मौलाना अनीस रजा ने अपनी तकरीर में नबी की तरह दुश्मनों को भी माफ कर गले लगाने की बात कही। रजा ने कहा कि दुनिया के सामने बेहतरीन अखलाक पेश करो। नबी से सच्ची महोब्बत करते हुए उनकी सुन्नतों पर अमल करो ताकि कामयाबी तुम्हारे कदम चूमे। आखिर में सलातो-सलाम पढ़कर तबर्रूक तकसीम किया गया और वतन में अमनों-चैन के लिए दुआ की गई। जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अकबर अली ने मेहमानों का दिल से शुक्रिया अदा किया। इजलास में काफी तादाद में अकीदतमंदों ने शामिल होकर अपनी गुलामी का सुबूत पेश किया।