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बागियों ने भाजपा की टेंशन बढ़ाई:तीसरे मोर्चे के दल भी प्रभावित कर सकते मुकाबला, डेमेज कंट्रोल भी नहीं आ रहा काम


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बागियों ने भाजपा की टेंशन बढ़ाई:तीसरे मोर्चे के दल भी प्रभावित कर सकते मुकाबला, डेमेज कंट्रोल भी नहीं आ रहा काम

बागियों ने भाजपा की टेंशन बढ़ाई:तीसरे मोर्चे के दल भी प्रभावित कर सकते मुकाबला, डेमेज कंट्रोल भी नहीं आ रहा काम

झुंझुनूं : जिले की सातों सीटों पर कांग्रेस व भाजपा ने प्रत्याशियों की तस्वीर साफ कर दी है। चुनावी मुकाबले की असल तस्वीर उम्मीदवारों की नाम वापसी पर ही तय हो पाएगी, लेकिन इन प्रमुख दलों के बीच चुनाव कितना कड़ा होगा, यह बागी एवं तीसरे मोर्चे के दलों के प्रत्याशी तय करेंगे। अभी दो-तीन सीटों को छोड ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच है।

तीसरा मोर्चा व अन्य अभी दिखा रहे मौजूदगी

जिले की सभी सीटों पर कांग्रेस व भाजपा आमने सामने है। कुछ सीटों पर बागी उम्मीदवार एवं तीसरे मोर्चे के दल अभी उपस्थिति दर्ज कराते दिख रहे हैं। भाजपा के कई नेता टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।

बागियों पर दलों का डेमेज कंट्रोल भी नहीं आ रहा काम

प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की सूची आने के बाद कांग्रेस व भाजपा में बागी सुर तेजी से उभरे हैं। इन सुरों को थामने के लिए दोनों ही दलों ने डैमेज कंट्रोल के प्रयास शुरू किए हैं, लेकिन सूरजगढ़ में भाजपा को छोड़ अभी ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में इन दलों के डैमेज कंट्रोल के प्रयास कारगर होते दिखाई नहीं पड़ रहे।

भाजपा में कांग्रेस से ज्यादा बगावत

झुंझुनूं जिले की 7 सात में 3 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा है। बागी प्रत्याशी दोनों ही दलां की टेंशन बढ़ा रहे हैं। झुंझुनूं, पिलानी व उदयपुरवाटी सीट पर तीसरा दल व निर्दलीय समीकरण बिगाड़ रहे हैं। झुंझुनूं सीट से भाजपा से बागी हुए राजेन्द्र भांबू निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। भांबू पिछला चुनाव भाजपा की टिकट पर लडे़ थे। इस बार टिकट कट गई तो भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले दिनों भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सतीश ने राजेन्द्र भांबू से मुलाकत कर मानाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। भांबू के निर्दलीय मैदान में आने से मुकाबला रोचक हो गया है।

पिलानी में मेघवाल ने भाजपा की टेंशन बढ़ाई

पिलानी से टिकट की मांग कर रहे भाजपा के पूर्व प्रत्याशी कैलाश मेघवाल ने भी टिकट कटने पर भाजपा से बागी होकर निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। यहां भी भाजपा कैलाश को मनाने में अब तक नाकाम रही है। सूरजगढ़ में भी भाजपा युवा के पूर्व जिलाध्यक्ष सतीश गजराज ने टिकट नही मिलने पर बड़ी सभा की थी, निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत दिए, लेकिन बाद में प्रतिपक्ष नेता राजेंद्र राठौड़ के हस्तक्षेप के बाद गजराज मान गए थे। वही कांग्रेस में दो मौजूदा विधायक की टिकट कटने के बावजूद भी विरोध के स्वर नहीं दिखे।

उदयपुरवाटी में त्रिकोणीय

उदयपुवाटी से भाजपा-कांग्रेस और शिवसेना के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा है। कांग्रेस से बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा शिवसेना से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं भाजपा से पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी व कांग्रेस से भगवाना राम सैनी मैदान में है। ऐसे में तीसरा दल सीधे तौर पर उदयपुरवाटी सीट पर चुनाव को प्रभावित कर रहा है।

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