सीकर के सरकारी हॉस्पिटल में डाॅक्टर बन घुसा शराबी:फीमेल पेशेंट से बोला-दर्द है तो इंजेक्शन लगवा दूं; नर्सिंगकर्मी ने ID कार्ड मांगा तो भागा
सीकर के सरकारी हॉस्पिटल में डाॅक्टर बन घुसा शराबी:फीमेल पेशेंट से बोला-दर्द है तो इंजेक्शन लगवा दूं; नर्सिंगकर्मी ने ID कार्ड मांगा तो भागा
सीकर : सीकर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसके (श्रीकल्याण) हॉस्पिटल में भर्ती मरीज असुरक्षित हैं। वार्डों में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह लचर हो चुकी है। शनिवार रात करीब 2 बजे एक शराबी डॉक्टर बनकर फीमेल सर्जरी वार्ड में घुस गया। वह भर्ती मरीजों से उनकी बीमारी की जानकारी लेने लगा। एक युवती से पूछा- क्या तकलीफ है? दर्द है तो इंजेक्शन लगवा दें। वह युवती का चेकअप करने की कोशिश कर रहा था। युवती की शुक्रवार को ही सर्जरी हुई थी।

नर्सिंगकर्मी की नजर पड़ी तो मांगा आईडी कार्ड
शराबी पर नर्सिंग स्टाफ की नजर पड़ गई। नर्सिंगकर्मी युवती के बेड पर पहुंची। शराबी से आईडी कार्ड मांगा तो वह घबरा गया। कहने लगा डॉक्टर साहब ने भेजा है। इसलिए भर्ती मरीजों की जानकारी ले रहा हूं। फिर वह वार्ड से भाग निकला।
नर्सिंग स्टाफ ने ट्रॉमा यूनिट के गार्डों को जानकारी दी। वार्ड इंचार्ज को अवगत कराया। गार्डों ने युवक की तलाश की, लेकिन वह परिसर से फरार हो गया। रविवार सुबह वार्ड इंचार्ज ने अस्पताल अधीक्षक डॉ. केके अग्रवाल को घटना की जानकारी दी। अधीक्षक ने पुलिस को शिकायत सौंपी है।
वार्डों इंचार्ज को ध्यान रखने को कहेंगे
हॉस्पिटल के नर्सिंग सुपरिटेंडेंट शिवदयाल बाजिया ने बताया- नर्सिंग स्टूडेंट्स की रात में ड्यूटी नहीं होती। वार्डों में बिना परमिशन नर्सिंग स्टूडेंट का रुकना गलत है। हमने पहले भी वार्ड इंचार्जों को ध्यान रखने के लिए कहा था। फिर से उन्हें पाबंद किया जाएगा।

हॉस्पिटल में 58 सुरक्षा गार्ड, फिर भी मरीज असुरक्षित
मेडिकल कॉलेज और एसके हॉस्पिटल में 58 सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। हर महीने 10 लाख रुपए से ज्यादा उनकी सैलरी पर खर्च होते हैं। फिर भी सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। आए दिन भर्ती मरीजों और उनके परिजनों के मोबाइल और सामान चोरी हो रहे हैं।पिछले 5 महीनों में अस्पताल से 23 मोबाइल चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। घर से लाया सामान चोरी हो जा रहा है। आधा दर्जन जेब काटने की वारदातें भी हुई हैं। सुरक्षा के जिम्मेदार अधिकारी अनजान बने हुए हैं। अस्पताल में 24 घंटे अनहोनी का खतरा बना रहता है।

रात के समय खतरा ज्यादा
रात के समय हालात और बदतर हो जाते हैं। न तो गार्ड अपनी निर्धारित ड्यूटी स्थल पर रहते हैं और न ही उनकी मॉनिटरिंग का कोई सिस्टम है। नतीजतन, गार्ड अस्पताल पहुंचकर सो जाते हैं। इसका परिणाम यह है कि अस्पताल परिसर में बाहरी लोगों और शराबियों की आवाजाही बेरोकटोक चलती रहती है। रात में वार्डों तक में बाहरी लोगों का जमावड़ा रहता है। बिना अनुमति नर्सिंग स्टूडेंट मरीजों के इलाज में जुटे रहते हैं। बाहरी लोगों की मौजूदगी की कई बार शिकायतें हुईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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