निकाह इबादत है, इसे रस्मों की तरह नहीं बल्कि सुन्नत के अनुसार करें – मुफ्ती शेर मोहम्मद रिजवी
निकाह इबादत है, इसे रस्मों की तरह नहीं बल्कि सुन्नत के अनुसार करें - मुफ्ती शेर मोहम्मद रिजवी
जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
डीडवाना/चूरू : शेरानी आबाद कस्बे की गोसिया मस्जिद में आयोजित कार्यक्रम में समाज में फैल रही फिजूल खर्ची, कुरीतियों और बुराइयों पर विचार गोष्ठी हुई। इसमें शेर-ए-राजस्थान मुफ्ती शेर मोहम्मद रिजवी ने खूसूसी ख़िताब देते हुए कहा कि “निकाह एक इबादत है, इसे इबादत के तौर पर अदा करें, न कि रस्मो-रिवाज की तरह।”
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को तरक्की की राह पर ले जाने के लिए बच्चों को शिक्षित करना जरूरी है। शिक्षा से ही समाज में बेदारी आएगी, क्योंकि शिक्षित समाज को ही दुनिया सलाम करती है। मुफ्ती रिजवी ने कहा कि जब से हमने हुजूर की शिक्षाओं से दूरी बनाई है, तब से हमारी कौम मुश्किलों में है।
उन्होंने मौजूदा शादियों में हो रही फिजूल खर्ची और गैर-जरूरी रस्मों को खत्म करने की अपील की और कहा कि “मस्जिद में निकाह करना सुन्नत तरीका है। यहां गैर-शरई काम जैसे वीडियो ग्राफी, पटाखे और दिखावे से खुद-ब-खुद परहेज होता है।”
इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता मो. मुश्ताक खान कायमखानी ने कहा कि समाज में सादगीपूर्ण निकाह को बढ़ावा देने का यह प्रयास सराहनीय है। पीर सैयद अशरफ कलीम शरीफ ने खूसूसी दुआ कराई, जबकि हाफिज मोहम्मद अल्लाह बख्श बासनी ने खुतबा पढ़ा।कार्यक्रम में समाज के गणमान्य नागरिकों सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
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