झुंझुनूं में 15 दिन में डेंगू के 30 नए मरीज:फॉगिंग के बावजूद नहीं थम रहा आंकड़ा, बारिश से संक्रमण के तेजी से फैलने का डर
झुंझुनूं में 15 दिन में डेंगू के 30 नए मरीज:फॉगिंग के बावजूद नहीं थम रहा आंकड़ा, बारिश से संक्रमण के तेजी से फैलने का डर

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। फॉगिंग और एंटी-लार्वा अभियान के बावजूद संक्रमण पर काबू नहीं पाया जा सका है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 दिनों में 30 नए केस सामने आए हैं, जबकि अब तक जिले में कुल 75 से अधिक मरीज मिल चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के दोबारा शुरू होने से मच्छरों के पनपने के हालात और बेहतर हो गए हैं, जिससे आने वाले दिनों में संक्रमण में तेजी आने का अंदेशा है।
स्क्रब टाइफस और चिकनगुनिया के 6-6 मरीज मिले
डेंगू के साथ-साथ इस बार चिकनगुनिया और स्क्रब टाइफस जैसे अन्य मौसमी संक्रमण भी लोगों को परेशान कर रहे हैं। जिले में स्क्रब टाइफस और चिकनगुनिया के 6-6 मरीजों की पुष्टि हुई है। वहीं, मलेरिया का भी एक केस सामने आया है। ये सभी बीमारियां एक ही मौसम में तेजी से बढ़ती हैं, जब तापमान गिरने लगता है और बरसात के बाद नमी बनी रहती है।

बीडीके अस्पताल में बढ़े केस
झुंझुनूं के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल बीडीके में पिछले पखवाड़े में डेंगू के मरीजों की संख्या में तेजी दर्ज की गई है। अस्पताल रिकॉर्ड के मुताबिक 20 से 5 अक्टूबर के बीच कुल 383 संदिग्ध मरीजों की जांच की गई, जिनमें 19 मरीज डेंगू पॉजिटिव निकले। वहीं, पिछले 5 दिनों में 8 नए केस और मिले हैं। इसके अलावा निजी लैबों में जांच कराने वाले कई मरीजों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। चिकित्सा अधिकारियों के अनुसार, हर दिन औसतन 3 से 4 नए केस सामने आ रहे हैं।
डेंगू के लक्षण समान, वायरल और टाइफाइड से भ्रम की स्थिति
डॉक्टरों का कहना है कि इस बार डेंगू जैसे समान लक्षण वाले मरीजों की संख्या अधिक है। बुखार के साथ जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, उल्टी, शरीर पर लाल चकत्ते और कमजोरी की शिकायतें बढ़ी हैं। कई मरीज मौसमी वायरल समझकर देर से जांच करा रहे हैं, जिससे जटिलताएं बढ़ जाती हैं।
डेंगू की पुष्टि के लिए सबसे पहले कार्ड टेस्ट किया जाता है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर एलाइजा टेस्ट से पुख्ता जांच की जाती है। डॉक्टर बताते हैं कि कई बार प्रारंभिक जांच नेगेटिव आती है, लेकिन लक्षण बने रहने पर 2 से 3 दिन बाद दोबारा एलाइजा टेस्ट कराना जरूरी होता है। इसके साथ सीबीसी जांच से इन्फेक्शन के स्तर की जानकारी भी ली जाती है।

फॉगिंग पर उठे सवाल, 40 वार्डों में दावा, असर कुछ नहीं
चिकित्सा विभाग का दावा है कि शहर के 40 वार्डों में रोजाना फॉगिंग की जा रही है। टीम प्रभारी प्रवेश कुमार ने बताया कि बाइक और ऑटोमैटिक मशीनों से सुबह और शाम के समय फॉगिंग कराई जा रही है। साथ ही सर्वे टीम घर-घर जाकर पानी के टैंक, कूलर, गमले और खुले बर्तनों की जांच कर रही है।
हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि फॉगिंग का असर जमीन पर दिखाई नहीं दे रहा। कई वार्डों में धुआं छोड़ने के बाद भी मच्छरों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। कुछ कॉलोनियों में फॉगिंग अनियमित रूप से की जा रही है। वहीं, जहां नियमित फॉगिंग हो रही है, वहां भी संक्रमण के नए केस आ रहे हैं।
बारिश से बढ़ी चिंता, दोबारा फैल सकता है संक्रमण
बारिश ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के बाद जगह-जगह पानी जमा हो जाने से मच्छर तेजी से पनपते हैं। एक मादा एडीज मच्छर मात्र एक सप्ताह में सैकड़ों अंडे दे सकती है। इसलिए बारिश के बाद अगर सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले दिनों में संक्रमण का दायरा और बढ़ सकता है।
चिकनगुनिया और स्क्रब टाइफस के केस भी बढ़े
जिले में डेंगू के साथ अब चिकनगुनिया और स्क्रब टाइफस के केस भी सामने आ रहे हैं। दोनों बीमारियों में बुखार, थकावट और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण समान होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कई बार शुरुआती लक्षण एक जैसे होने के कारण मरीज भ्रमित हो जाते हैं। स्क्रब टाइफस में अगर समय पर इलाज न मिले, तो संक्रमण खतरनाक रूप ले सकता है।
डॉक्टरों का कहना है कि बुखार या शरीर दर्द की स्थिति में बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न लें। पैरासिटामोल के अलावा अन्य दवाएं जैसे ब्रूफेन या डिक्लोफिनैक डेंगू में प्लेटलेट्स को और कम कर सकती हैं। इसलिए जांच और डॉक्टर की सलाह के बाद ही इलाज शुरू करें।