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श्रीमाधोपुर कृषि उपज मंडी में हड़ताल तीसरे दिन भी जारी, पल्लेदारों के समर्थन में उतरी माकपा और किसान सभा


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श्रीमाधोपुर कृषि उपज मंडी में हड़ताल तीसरे दिन भी जारी, पल्लेदारों के समर्थन में उतरी माकपा और किसान सभा

श्रीमाधोपुर कृषि उपज मंडी में हड़ताल तीसरे दिन भी जारी, पल्लेदारों के समर्थन में उतरी माकपा और किसान सभा

जनमानस शेखावाटी सवंददाता : नैना शेखावत

श्रीमाधोपुर : श्रीमाधोपुर की कृषि उपज मंडी में व्यापारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शनिवार को तीसरे दिन भी जारी रही। व्यापारियों ने यह हड़ताल पल्लेदारों द्वारा तुलाई और लोडिंग में मनमानी के विरोध में शुरू की है। वहीं, दूसरी ओर पल्लेदार यूनियन भी अपने 12 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर धरने पर डटी हुई है, जिससे मंडी की सभी व्यापारिक गतिविधियां ठप हो गई हैं।

शनिवार को अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) और माकपा (CPIM) के पदाधिकारियों ने मंडी परिसर में बैठक आयोजित कर पल्लेदारों के समर्थन का ऐलान किया। सभा में निर्णय लिया गया कि पल्लेदार यूनियन की 12 सूत्रीय एवं किसान सभा की 5 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मंडी सचिव को सौंपा जाएगा, लेकिन मंडी सचिव के अनुपस्थित होने पर किसान सभा और यूनियन ने रैली निकालकर एसडीएम कार्यालय तक मार्च किया।

रैली के दौरान मंडी परिसर और एसडीएम कार्यालय के बाहर जोरदार नारेबाजी हुई। चूंकि एसडीएम कार्यालय में भी अवकाश था, इसलिए दोनों संगठनों ने अपना ज्ञापन कार्यालय के मुख्य द्वार पर चस्पा कर दिया।

पल्लेदार यूनियन की प्रमुख मांगें: मजदूरों के लिए नहाने व शौचालय की समुचित व्यवस्था।, किसानों के प्लेटफार्म पर व्यापारियों के कब्जे हटाना।, मजदूरी दरों में वृद्धि।, काम का समय सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक निश्चित करना।, मंडी प्रशासन द्वारा सुरक्षा और सुविधाओं की व्यवस्था करना।

किसान सभा के ओमप्रकाश यादव ने कहा कि व्यापारियों की हड़ताल अनुचित और मनमानीपूर्ण है तथा मजदूरों की जायज मांगों को तुरंत स्वीकार किया जाना चाहिए।

वहीं, व्यापार संघ के मंत्री प्रकाश जैन और अध्यक्ष पवन चौधरी ने बताया कि कुछ पल्लेदार रात में आने वाले कृषि उत्पादों को उतारने से रोक रहे हैं, जिससे तुलाई की प्रक्रिया बाधित हो रही है। इसी कारण व्यापारियों ने मंडी में अनिश्चितकालीन व्यापार बंद रखने का निर्णय लिया है।

उन्होंने बताया कि मूंगफली सीजन के दौरान प्रतिदिन करीब 3200 क्विंटल कृषि जिंस मंडी में आती हैं, जिससे रोजाना लगभग 2 करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित हो रहा है और सरकार को टैक्स व जीएसटी में करीब 10 लाख रुपये प्रतिदिन का नुकसान उठाना पड़ रहा है। फिलहाल स्थिति यह है कि मंडी में कामकाज पूरी तरह ठप है और दोनों पक्षों के बीच सुलह की संभावनाएं फिलहाल दूर दिखाई दे रही हैं।

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