राजस्थान के चूरू में वायुसेना का जगुआर लड़ाकू विमान क्रैश:पायलट और को-पायलट की मौत, शवों के टुकड़े मिले; गांव में बिखरा प्लेन का मलबा
राजस्थान के चूरू में वायुसेना का जगुआर लड़ाकू विमान क्रैश:पायलट और को-पायलट की मौत, शवों के टुकड़े मिले; गांव में बिखरा प्लेन का मलबा

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : रुस्तम अली खान
रतनगढ़ : राजस्थान के चूरू जिले के भाणूदा गाँव में आज भारतीय वायुसेना का जैगुआर सुपरसोनिक ग्राउंड-अटैक फाइटर जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गया। घटना दोपहर करीब 1:25 बजे हुई, जब विमान उड़ान के दौरान खेत में दुर्घटनाग्रस्त हुआ और उसकी तीव्र आवाज व धुएँ ने आसपास डर फैला दिया।
रायलदेसर थाना प्रभारी ने बताया कि मलबे के पास मानव अवशेष पाए गए हैं, जिससे दो लोगों संभावित पायलट सहित की मौत की आशंका जताई जा रही है, शेष की पहचान अभी बाकी है । स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने इलाके को घेरकर जांच शुरू कर दी है जबकि वायुसेना ने अपने हेलिकॉप्टर भेजकर बचाव–पुनर्प्राप्ति कार्य प्रारंभ किया है । चूरू पुलिस अधीक्षक जय यादव और जिला कलेक्टर अभिषेक सुराणा मैदान पर मौजूद हैं ।
यह तीसरा जैगुआर विमान दोषग्रस्त होने का मामला है मार्च में फतेहगढ़ क्वार्टरेंटल पैंचकुला में, अप्रैल में गुजरात के जमनगर में एक ट्रेनिंग विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, इस महीने का यह तीसरा हादसा है, जो IAF के पुराने फ्लीट की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है । अधिकारी इस दुर्घटना के कारणों की जांच में जुटे हैं चाहे वह तकनीकी खराबी हो या मानव त्रुटि और इस क्षेत्र में इसी प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा की जाएगी।
जगवार जैट एक ब्रिटिश-फ्रेंच सुपरसोनिक ग्राउंड अटैक फाइटर जेट है, जिसे भारतीय वायुसेना 1979 से उपयोग में ले रही है। यह जेट 1,700 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है और सिर्फ 600 मीटर के रनवे से टेकऑफ व लैंडिंग करने में सक्षम है। इसकी उड़ान ऊंचाई 46,000 फीट तक है और यह डेढ़ मिनट में 30,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। Jaguar जेट में दो 30 मिमी की तोपें, लेजर गाइडेड बम और मिसाइलें लगाने की क्षमता होती है, जिससे यह दुश्मन के ठिकानों पर बेहद सटीक स्ट्राइक करने में सक्षम है। यह रात्रि में भी ऑपरेशन कर सकता है और इसमें उन्नत नेविगेशन व इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम लगे होते हैं। हालांकि इसकी तकनीक अब पुरानी हो चुकी है, फिर भी यह आज भी भारतीय वायुसेना की स्ट्राइक क्षमता का एक अहम हिस्सा है।
देखिए, घटना से जुड़ी तस्वीरें..






