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भाजपा में हर्षिनी कुलहरी की नियुक्ति के बाद उठे विरोध के स्वर, कार्यकर्ताओं में असंतोष का माहौल


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भाजपा में हर्षिनी कुलहरी की नियुक्ति के बाद उठे विरोध के स्वर, कार्यकर्ताओं में असंतोष का माहौल

भाजपा में हर्षिनी कुलहरी की नियुक्ति के बाद उठे विरोध के स्वर, कार्यकर्ताओं में असंतोष का माहौल

जयपुर : भारतीय जनता पार्टी द्वारा झुंझुनूं में हर्षिनी कुलहरी को जिलाध्यक्ष बनाए जाने के बाद संगठन में अंदरूनी विवाद गहराता जा रहा है। इस नियुक्ति को लेकर पार्टी के भीतर असहमति की स्थिति बन गई है और विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। सबसे पहले प्रतिक्रिया भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानूं की ओर से सामने आई, जिन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से चयन प्रक्रिया और पात्रता को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कृष्ण कुमार जानूं ने फेसबुक पोस्ट में पूछा कि ओमेंद्र चारण, विकास लोटिया, दिनेश धाबाई, विक्रम सैनी, सरजीत चौधरी और योगेंद्र मिश्रा जैसे सक्रिय कार्यकर्ताओं में ऐसी कौन सी कमी थी, जो हर्षिनी कुलहरी में पूरी हो गई? उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि महिला कोटे से नियुक्ति होनी थी, तो क्या कुलहरी ही सबसे योग्य थीं। यह बयान उनके और हर्षिनी कुलहरी के परिवार के बीच पहले से चले आ रहे राजनीतिक मतभेदों की पृष्ठभूमि में और भी तीखा प्रतीत हो रहा है।

भाजपा में लंबे समय से चली आ रही गुटबाजी इस घटनाक्रम के बाद एक बार फिर सतह पर आ गई है। वहीं विपक्ष ने भी इस अवसर को भुनाने की कोशिश की है। कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष अजय तसीड़ ने फेसबुक पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “जिलाध्यक्ष की राड़, भाजपा दो फाड़”, जो इस पूरे मामले को और अधिक राजनीतिक रंग दे गया। हर्षिनी कुलहरी पूर्व सांसद नरेंद्र कुमार की पुत्रवधू हैं और उनकी नियुक्ति के 24 घंटे बाद भी पार्टी में असंतोष की स्थिति बनी हुई है। कुछ नेताओं ने उन्हें औपचारिक बधाई जरूर दी है, लेकिन अधिकांश वरिष्ठ कार्यकर्ता विशेषकर मंडावा विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी नेतृत्व इकाइयां अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। यह स्थिति पार्टी के आंतरिक समीकरणों पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार यह मुद्दा प्रदेश नेतृत्व तक पहुंच गया है और आने वाले दिनों में स्थिति को संभालने के लिए संगठन स्तर पर प्रयास किए जा सकते हैं। फिलहाल कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है और सोशल मीडिया के माध्यम से यह असहमति व्यापक चर्चा का विषय बन गई है।

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