[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

RSS ने हमारी पहचान खत्म करने की कोशिश की, अब वही हमें आदिवासी मानने लगे हैं


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
टॉप न्यूज़बांसवाड़ाराजस्थानराज्य

RSS ने हमारी पहचान खत्म करने की कोशिश की, अब वही हमें आदिवासी मानने लगे हैं

राजस्थान के चौरासी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सबसे कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सांसद राजकुमार रोत ने कहा है कि उनका मुकाबला भाजपा से नहीं, बल्कि आरएसएस से है। उन्होंने इसे वागड़ क्षेत्र में क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई करार दिया।

बांसवाड़ा : राजस्थान में सात सीटों पर हो रहे उपचुनावों में चौरासी सीट पर सबसे टफ फाइट बताई जा रही है। यहां भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सांसद राजकुमार रोत का कहना है कि उपचुनाव में उनका मुकाबला भाजपा से नहीं बल्कि आरएसएस से है। संघ और बीएपी यह लड़ाई महज एक सीट भर की नहीं है बल्कि वागड़ में क्षेत्रीय वर्चस्व के लिए यह मुकाबला है। हमारे रिपोर्टर ने चौरासी सीट पर जाकर राजकुमार रोत से मौजूदा हालातों और सियासी मुद्दों पर सवाल जवाब किए।

सवाल- एक साल में यहां तीसरी बार चुनाव हैं। पहले विधायक, फिर सांसद और अब फिर विधानसभा उपचुनाव। ऊर्जा वही है या कम हुई है?

जवाब- यहां आजादी के बाद पहली बार उपचुनाव हो रहा है। यहां की जनता ने विधानसभा चुनावों में राजस्थान में दूसरी सबसे बड़ी लीड दी थी। हमारी लीड अब भी बरकरार रहेगी। हमारी जिद है लीड बढ़ाना और भाजपा हमारी लीड कम करने की लड़ाई लड़ रही है जीतने के लिए नहीं।

सवाल- लोकसभा में गठबंधन हुआ, लेकिन इस बार कांग्रेस के साथ अलायंस कामयाब नहीं हुआ क्यों?
जवाब- वर्तमान में जो परिस्थियां बनी। हमने कहा था सलूंबर, चौरासी सीट छोड़ दो हम आसानी से सीट निकाल लेंगे। लेकिन यहां पर दिक्कत यह है कि कुछ कांग्रेसी नेता बीजेपी के लिए काम करते हैं। लोकसभा में इंडी अलायंस हुआ, प्रदेश प्रभारी आए, प्रदेशाध्यक्ष आए लेकिन स्थानीय विधायक गणेश घोघरा नहीं आए। इन्हीं लोगों के फीडबैक की वजह से हमारा गठबंधन नहीं हो पाया।

सवाल: कांग्रेस के साथ तो गठबंधन नहीं हुआ, लेकिन नरेश मीणा को आपने सपोर्ट दिया है
जवाब
– नरेश मीणा ने लिखित में हमसे सपोर्ट मांगा तो हमारे प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश कार्यकारिणी ने उन्हें सपोर्ट दिया। पहले हम यहां प्रत्याशी भी उतारना चाहते थे, लेकिन अब हमारी टीम वहां नरेश मीणा को सपोर्ट कर रही है। हमारे यहां विचारधारा अहम है। आने वाले समय में नरेश साथ आएंगे तो मिलकर काम करेंगे।

सवाल- आपने नरेश मीणा को सपोर्ट कर दिया लेकिन हनुमान बेनीवाल भी लड़ाई लड़ रहे हैं उन्हें समर्थन नहीं दिया?
जवाब
– देखिए वहां पर हमारा कैडर नहीं है। वहां पर हमारी टीम नहीं है तो फिर औपचारिकता करने का कोई मतलब नहीं है। जब जरूरत पड़ेगी और बड़े लेवल पर चुनाव हों तो उस दौरान विचार किया जाएगा। जैसे हमे उनसे फायदा है और उन्हें हमसे फायदा हो तो हम मिलकर काम करेंगे।

सवाल- आप यहां अलग आदिवासी/वनवासी क्षेत्र की मांग कर रहे हैं आज वह स्थिति कहां तक है?
जवाब
– हमारा समुदाय आदिवासी समुदाय है आरएसएस ने एक शब्द दे रखा है उनको वनवासी के नाम से संबोधित करते हैं। दोनों में फर्क है…आदिवासी मतलब मूल रूप से यहां का रहने वाला है। आरएसएस ने हमारी आइडेंटिटी को खत्म करने के लिए यह वनवासी संबोधन दिया है। वन में तो कोई भी रहता है। वन में तो जानवर भी रहते हैं। जहां तक नए स्टेट की डिमांड आते ही राजस्थान की पूरी राजनीति में भूचाल आ जाता है। पर यह मांग लंबे समय से चली आ रही है। गोविंद गुरु ने जब आंदोलन किया था तब इस मांग को लेकर 1500 आदिवासी शहीद हुए तो हम इस मांग को कैसे छोड़ सकते हैं।

Related Articles